पटना : बेंगलूर में इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या और उसके 24 पन्ने की सुसाइड नोट आम के बीच आने के बाद देश इससे इंकार नहीं कर सकता है कि वर्तमान समय में पुरुषों को पत्नी एवं उसके मायके के लोगों द्वारा उत्पीडन की घटना आम बन गई है । अतुल सुभाष का सुसाइड पूरे देश को झकझोरने के साथ ही पुरुष वर्ग के उत्पीड़न को जग जाहिर कर दिया है । पुलिस न्यायलय के ऊपर लगे आरोप के बाद अब देश व राज्य में पुरुष आयोग की स्थापना वर्तमान की सबसे बड़ी जरुरत बन चुकी है।
अतुल सुभाष के सुसाइड की घटना के बाद जदयू नेता मनोज लाल दास मनु ने बयान जारी कर व्यक्त किया। श्री मनु ने कहा कि पुरुष उत्पीड़न की घटना में लगातार वृद्धि होना समाज के लिए चिन्ता का विषय बन रहा है और आज डिजीटल युग में इस तरह की घटना में लगातार बढ़ोत्तरी सभ्य समाज के लिए दहेज की तरह श्राप में तब्दील होती जा रही है। मनु ने अपने बयान में यह भी कहा कि यदि सर्वे कराया जाये तो 70 प्रतिशत से ज्यादा पुरुष पत्नी की ज्यादती व ससुराल पक्ष की अनावश्यक हस्तक्षेप पुरुष वर्ग को मानसिक रूप से बिमार बना रही है।यह सिर्फ नये जोड़े ही नही बल्कि 50 वर्ष की आयु पार कर चुके दम्पितयो में भी ज्यादा देखने को मिल रहा है। श्री मनु ने कहा कि अपना बिहार भी इस मामले में कम नहीं है आज अदालतों में लंबित मामले 15 साल से अधिक समय से पड़ा हुआ है। लड़का या लड़की की ओर से अदालत से मेंटेनेंस राशि मिलने के कारण भी मुकदमे की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है।
दाम्पत्य जीवन की सफलता पति-पत्नी के आपसी समझ व सांमजस्य पर आधारित होता है और पत्नी द्वारा अनावश्यक शक की बुनियाद पर पति का उत्पीडन करना और ससुराल पक्ष का इसमें शामिल हो जाना एक गम्भीर अपराध है। श्री मनु ने बिहार के मुख्य न्यायाधीश बिहार व राज्य के मुख्यमंत्री से अपील की है एक विशेष अभियान चलाकर अदालतों में तीन साल से लंबित पति पत्नी के मामला का निष्पादन एक महीने में कराने का निर्देश दे अन्यथा अतुल सुभाष की तरह कई युवा सुसाइड न कर ले। उन्होंने ने महामहिम राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर देश व राज्यो में पुरुष आयोग के गठन करने का आग्रह किया है जिससे पुरुष वर्ग को न्याय मिल सके।