पटना : जेडीयू नेता मनोज लाल दास मनु ने पूर्व सांसद आंनद मोहन के बिहार सरकार के द्वारा की जा रही रिहाई के आदेश पर कुछ नेताओं द्वारा इसे दलित अति पिछड़ा से जोड़ने की भर्त्सना की है। आंनद मोहन जी की रिहाई पर हाय तौबा मचाने वाले को जानना चाहिए की डीएम कृष्णैया की हत्या के वक्त आंनद मोहन वहा नही थे, उन पर मात्र भीड़ को उकसाने का आरोप लगा था न की हत्या का। भाजपा नेता सुशील मोदी खुद सार्वजानिक रूप से आंनद मोहन की रिहाई की मांग करते रहे है। अब उन्हें आंनद मोहन की रिहाई अति पिछड़ा विरोधी लगने लगा है। उत्तर प्रदेश की मख्यमंत्री मायावती एससी एसटी आयोग के विरोध को महज वोट बैंक के लिए विरोध कर रहें है। श्री मनु ने पूर्व आईपीएस अमिताभ कुमार दास के विरोध को मात्र मीडिया में रहने का तरीका बताते हुए कहा कि श्री दास नौकरी जाने के बाद से मानसिक रूप से बीमार हो गए है। इसीलिए उजूल फुजूल बयान दे रहे है। आज जिन्हे अति पिछड़ा दलित याद आ रहा है वे उस समय चुप क्यों थे जब इस मामले की जॉच सीबीआई से कराने की हो रही थी। अमिताभ दास जैसे सिरफिरे लोगों के बातो को बिहार की जनता नोटिस नही लेती है, दास आज कोर्ट जानें की बात कर रहे लेकीन घटना के समय सीबीआई जांच कराने के समय मौन थे। मख्यमंत्री नीतिश कुमार ने आंनद मोहन जी को छोड़ने का जो फैसला लिया है इसकी जितनी तारीफ हो कम होगी । इससे दलित और अति पिछड़े समाज के लोगों में खुशी है। श्री मनु ने भाजपा के कूछ नेताओ को चेतावनी दी है कि वे इस मामले में दलित पिछड़ा वर्ग से ना जोड़े अगर शुरु में ही ये सब सीबीआई जॉच की मांग की होती तो आज आंनद मोहन बेगुनाह होते।