बिलासपुर : पूर्व में लागू मूल्य संवर्धित कर (वेट) जिसे पूर्व में विक्रय कर कहा जाता था, अब 1 जुलाई 2017 से सर्विस टैक्स के साथ मिलकर जीएसटी अर्थात् गुड्स एण्ड सर्विस टैक्स एक्ट हो चुका है। व्यापारियों, व्यापार संघ, करदाताओं की मांग पर लगातार इसे सरल, व्यवहारिक एवं सुविधाजनक बनाने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार प्रयासरत है। जीएसटी से प्राप्त राजस्व की राशि में केंद्र एवं राज्य के राजस्व का बड़ा हिस्सा होता है। जिससे राज्य एवं देश के विकास एवं आधारभूत संरचनाओं एवं नागरिक सुविधाओं का मार्ग प्रशस्त होता है। इस तरह अप्रत्यक्ष रूप से करदाता व कर संग्राहकों की राष्ट्र निर्माण में महती भूमिका होती है और जीएसटी कानून एवं नियमों के अनुपालन से इसमें अपना अधिकारिक योगदान कर सकते है। जीएसटी नियमों एवं कानून का अनुपालन करना हमारा कानूनी एवं नागरिक कर्तव्य है।प्रत्येक नागरिक को चाहिए कि वह प्रत्येक संव्यवहार के समय विक्रेता एवं सेवा प्रदाता से बिल अवश्य प्राप्त करें, जिसमें उसके जीएसटी नंबर का उल्लेख हो। प्रत्येक ऐसे संव्यवहार जो 200 रूपये से अधिक का है बिल बीजक इनवाईस जारी करना अनिवार्य है। ऐसे प्रत्येक व्यापारी जो माल एवं वस्तु के क्रय-विक्रय सप्लाई करते हो या विनिर्माता हो 40 लाख या उससे अधिक टर्नओव्हर पर तथा सेवा प्रदाता को 20 लाख या उससे अधिक टर्नओव्हर पर जीएसटी पंजीयन प्राप्त करना अनिवार्य है तथा प्रत्येक व्यापारी को अपने व्यापार स्थल पर अपने जीएसटी नंबर को प्रदर्शित करना अनिवार्य हैं तथा प्रत्येक ऐसे संव्यवहार जो 200 रूपये से अधिक का है, बिल बीजक इनवाईस जारी करना अनिवार्य है।जीएसटी एक्ट के अनुसार पंजीकृत व्यवसायियों द्वारा बिल जारी करना अनिवार्य है। अगर व्यवसायी कंपोजिशन सुविधा प्राप्त करता है तो उसे अपने व्यवसाय स्थल पर बड़े अक्षरों में यह स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करना चाहिए कि वह कंपोजिशन सुविधा प्राप्त व्यवसायी है और क्रय-विक्रय, सप्लाई बिल पर जीएसटी चार्ज करने का अधिकारी नहीं होंगे। सर्विस सेवा प्रदाता को कंपोजिशन सुविधा प्रदान नहीं की गई है। दायरे में आने वाले समस्त व्यवसायी एवं व्यवसायी वर्ग जीएसटी कानून एवं नियमों का स्व अनुपालन करें और कानून अनुसार अनुपालन करने में सीए, अधिवक्ता, कर सलाहकारों की मदद ले सकते है। विभाग एवं उसके अधिकारीगण भी ऐसे किसी भी सहायता हेतु सदैव तत्पर है।विशेष आयुक्त राज्य कर बिलासपुर ने समस्त नागरिकों के साथ समस्त व्यापारियों से आग्रह किया है कि 200 रूपये के माल के खरीदी बिक्री, सप्लाई एवं सेवा प्रदाय पर अनिवार्य रूप से जीएसटी बिल का आदान प्रदान करें। ऐसे समस्त अनुपालन अनिवार्य रूप से किया जाना है अन्यथ उसके उल्लंघन या अनुपालन पर शास्ति का भी प्रावधान है। माल या सेवा के सप्लाई में बिल जारी नहीं करने, गलत बिल जारी करने, दूसरे के जीएसटी नंबर का उपयोग कर बिल जारी करने, माल या सेवा के बिना सप्लाई किये बिल जारी करने, लेखा पुस्तकों में गलत प्रविष्टि करने, पंजीयन हेतु पात्र होकर भी पंजीयन नहीं करने, पंजीयन हेतु गलत जानकारी देने, टर्नओव्हर छिपाने, लेखापुस्तकें नहीं रखने इत्यादि के लिये 20 हजार तक अर्थदंड लगाई जा सकती है एवं जीएसटी कानून व उसके अधीन बनाये गये अन्य नियमों का भी अनुपालन नहीं करने के लिए 20 हजार की शास्ति लगाई जा सकती है।
छत्तीसगढ़ से ईश्वर कुमार की रिपोर्ट