पटना : लोकसभा चुनाव को लेकर विपक्षी एकजुटता के लिए प्रयासरत जनता दल यूनाईटेड को 23 जून को होने वाली बैठक से पहले जीतनराम मांझी के बेटे ने मंत्रीपद से इस्तीफा देकर क्या हिलाया, जदयू ने दलित मैनेजमेंट का पूरा सिलेबस तैयार कर लिया। पहले इस्तीफे वाले हफ्ते में ही महादलित विधायक को आननफानन में मंत्रीपद की शपथ दिलााई गई। वह कार्यक्रम खत्म नहीं हुआ कि जदयू ने माउंटेन मैन के नाम से मशहूर दशरथ मांझी के बेटे भगीरथ मांझी को बड़े मंच पर पार्टी में शामिल कराया। इस बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मीडिया के सामने यह भी कह दिया कि उन्होंने जब मुख्यमंत्री पद छोड़ने का फैसला लिया था तो शिड्यूल कास्ट सोचकर जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बनाया था।

जदयू के लिए यह क्राइसिस मैनेजमेंट

हमने जीतन राम मांझी के बेटे संतोष सुमन के इस्तीफे के साथ ही बता दिया था कि दलित क्राइसिस मैनेजमेंट अब जदयू की मजबूरी होगी और भाजपा के लिए महागठबंधन में मची यह अफरातफरी एक ऑफर। भाजपा ने उस ऑफर के हिसाब से तैयारी शुरू कर दी है, लेकिन पत्ते नहीं खोले हैं। लेकिन, जदयू ने क्राइसिस मैनेजमेंट तेजी से किया। जदयू ने संतोष मांझी के इस्तीफे के तत्काल बाद सहरसा के सोनवर्षाराज सुरक्षित (आरक्षित) विधानसभा सीट से 13 साल के प्रतिनिधि रत्नेश सदा का नाम फाइनल किया। इस नाम में भी महादलित वाला टाइटल था, जिसके बारे में हम ने पहले ही बता दिया था। शुक्रवार को सदा टाइटल वाले ने मंत्री पद की शपथ ली और सीधे जदयू दफ्तर पहुंचे। यहां मांझी टाइटल वाले को बुलाकर रखा गया था।

दशरथ मांझी से बड़ा कोई नाम भी नहीं

बिहार की राजनीति में मांझी टाइटल के लिए जीतन राम मांझी से बड़ा नाम फिलहाल कोई नहीं, लेकिन अरसे से सभी जातियों के बीच इस टाइटल में दरशथ मांझी से बड़ा नाम कोई नहीं। पहाड़ काटकर रास्ता बनाने के कारण माउंटेन मैन कहे जाने वाले दशरथ मांझी की चर्चा बिहार के हर जाति-वर्ग में गर्व से की जाती है। ऐसे में दिवंगत दशरथ मांझी के बेटे भगीरथ मांझी और उनके दामाद मिथुन मांझी को जदयू ने पार्टी में शामिल कराते हुए टाइटल की यह जंग फिलहाल तो अपने नाम कर ही ली है। पार्टी में इनके शामिल कराए जाते समय मंत्री विजय कुमार चौधरी, संजय झा, अशोक चौधरी आदि के अलावा जदयू के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह, वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा आदि भी मौजूद थे।