सुपौल : सुपौल के त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय अस्पताल की बदहाली की कहानी अक्सर सुर्खियों में होती है I इन सुर्खियों पर सवाल उठते ही आये हैं, लेकिन पहल की ओर कोई कदम बढ़ नहीं रहे I एक बार फिर अपने कारनामों से ये अस्पताल सुर्खियों में है I 14 करोड़ 32 लाख रुपये की लागत से बना हाईटेक सुविधाओं से लैस अस्पताल के पास सर्पदंश से बचाव वाला 100 रुपये का एंटीवेनम नहीं है I करोड़ों की लागत से बने अस्पताल में बत्ती गुल होने पर रोशनी की व्यवस्था नहीं है I मिशन 60 के तहत स्वास्थ्य महकमें को स्वस्थ बनाने की कवायद तो चल रही है, लेकिन अस्पतालों से डॉक्टर नदारद रहते हैं I
बत्ती गुल होने पर बिजली की व्यवस्था नहीं
बत्ती गुल होने पर बिजली की व्यवस्था नहीं होने के कारण यहां टॉर्च की रोशनी में होता है मरीजों का इलाज I त्रिवेणीगंज में नए हाईटेक सुविधाओं से लैस अस्पताल जब लोगों को मिला तो उन्हें लगा कि अब उन्हें बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था से छुटकारा मिल जाएगा, लेकिन लोगों की ये सोच गलत साबित हुई I
ड्यूटी से गायब रहते हैं डॉक्टर
जिस अस्पताल में दिन में ही डॉक्टर गायब मिले वहां रात में उन्हें खोजना भगवान को तलाशने जैसा है I बाजितपुर परसाही के रहने वाले सुजीत को शायद इसका अंदाजा नहीं था I इसलिए गर्भवती पत्नी को लेकर पहुंच गया त्रिवेणीगंज अनुमंडल अस्पताल, लेकिन इलाज के लिए नहीं मिले डॉक्टर I ड्यूटी पर मौजूद नर्स ने चेक किया और कह दिया कि यहां उपचार संभव नहीं है I इसे बाहर ले जाइए, नर्स ने सीधे सदर अस्पताल जाने के लिए कह दिया I
नर्स के भरोसे ही चलता है अस्पताल
पूरी दुनिया में सांप के काटने से होने वाली कुल मौतों में 80 फीसदी हिस्सा भारत का है I हो भी क्यों नहीं, त्रिवेणीगंज जैसे अस्पताल जिस देश में हों वहां सर्पदंश से मौत का आंकड़ा हर रोज बढ़ेंगे I करोड़ों की लागत से बने सरकारी अस्पताल में 100 रुपये का एंटीवेनम नहीं होगा और अगर होगा भी तो उसे लगाने वाले डॉक्टर नहीं होंगे तो फिर कैसे सर्पदंश से लोगों की जान बचेगी I डपरखा के नीतीश कुमार दास को भी सांप ने डंस लिया था I एंटीवेनम लगाने वो त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय अस्पताल पहुंचा I इन्हें भी अस्पताल में डॉक्टर नहीं मिले I आखिरकार नर्स ने बिना डॉक्टर की सलाह के ही इन्हें एंटीवेनम लगाकर लौटा दियाI