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प्रबुद्ध हिन्दू समाज के तत्त्वावधान में संत रविदास और स्वामी दयानंद सरस्वती दोनों दिव्य-आत्माओं की मनाई गई जयंती - News Bharat 24

पटना :  ईश्वरीय प्रकाश से पूर्ण जाग्रत महान संत रविदास एक ऐसे महात्मा थे जिन्होंने जगत को यह बताया कि नर और नारायण ‘चंदन और पानी’ की भाँति अंतर्लिप्त हैं। दोनों सूक्ष्म रूप में एक ही हैं। समग्र संसार क्या निखिल ब्रह्माण्ड, उसी एक परमात्मा का ही विस्तार है। उन्होंने यह भी सिद्ध किया कि ब्रह्म-तत्व को प्राप्त करना हर उस व्यक्ति के लिए संभव है, जो मन-प्राण से प्रभु का हो जाता है। इसके लिए किसी कुलीन वंश में उत्पन्न होना आवश्यक नहीं है।

यह बातें शनिवार को, पटेल नगर स्थित डी ए वी स्कूल में, प्रबुद्ध हिन्दू समाज, के तत्त्वावधान में आयोजित संत रविदास एवं स्वामी दयानंद सरस्वती जयंती का उद्घाटन करते हुए, संस्था के मुख्य संरक्षक डा अनिल सुलभ ने कही। डा सुलभ ने कहा कि संत रविदास भारत के अन्य ऋषियों की भाँति एक महान कवि भी थे और उन्होंने अनेक हृदय-ग्राही पदों का सृजन किया। उनके ४० पद गुरूग्रंथ साहिब में भी संकलित हैं। उन्होंने यह भी सिद्ध किया कि श्रेष्ठ गुणों से ही मनुष्य आदर पाता है। उनके ज्ञान और आध्यात्मिक शक्तियों ने अनेक राज घरानों को भी आकर्षित किया। महान संत कवयित्री मीरा बाई भी उनकी शिष्या थी। उन्होंने सभी प्रकार की संकीर्णताओं से ऊपर उठकर प्रेम पूर्वक मिलजुल कर रहने की शिक्षा दी।

स्वामी दयानंद सरस्वती को स्मरण करते हुए, डा सुलभ ने कहा कि आधुनिक भारत में भारतीय वांगमय के सबसे प्रखर व्याख्याता थे स्वामी जी। उन्होंने वेदों का गहन अध्ययन हीं नही किया, अपितु उसकी सरल व्याख्या प्रस्तुत कर भारत के उस महान ज्ञान को संसार के लिए सुलभ किया, जिसमें जगत के सभी प्रश्नों के उत्तर और सभी समस्याओं का निदान है।

समारोह के मुख्य अतिथि और पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री डा संजय पासवान ने कहा कि, स्वामी दयानंद सरस्वती ने वेदों का सरलीकरण कर उसे आमजन तक पहुँचाया जिसे संत रविदास ने अपने जीवन में उतार कर दिखाया था। स्वामी जी ने आर्य समाज विद्यालयों के माध्यम से भारतीय ज्ञान को भी आमजन तक फैलाया। उन्होंने कहा कि उनकी माँ भी आर्य समाज विद्यालय के कारण ही मैट्रिक तक की शिक्षा प्राप्त कर सकीं थी। इन दोनों विभूतियों को एक साथ स्मरण कर सामाजिक-समरस्ता का कार्य किया है, जिसकी आज सबसे बड़ी आवश्यकता है। समाज को टूटने से बचाना है तो हमें समरस्ता पर अधिक से अधिक कार्य करना होगा।

प्रो जनार्दन सिंह की अध्यक्षता में आयोजित इस संयुक्त जयंती समारोह में, पटना विश्व विद्यालय के पूर्व कुलपति डा जगन्नाथ ठाकुर, पटना साइंस कालेज के पूर्व प्राचार्य प्रो दीपक शर्मा, प्रो परमांशु जी, कवि शंकर शरण मधुकर, अरुण कुमार राय आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए। अतिथियों का स्वागत संस्था के महासचिव आचार्य पाँचू राम ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन डा मनोज कुमार ने किया। मंच का संचालन संस्था के संगठन मंत्री और कवि डा मनोज गोवर्द्धनपुरी ने किया।

इस अवसर पर, निखिल सिंह, कुंदन कुमार, अमित कुमार सिंह, रवि शंकर, शेखर सिंह, नवीन कुमार सिन्हा समेत विद्यालय के शिक्षक एवं छात्रगण उपस्थित थे।