दुनिया भर में बिहार के लाल विभिन्न क्षेत्रों में अपने हुनर का डंका बजवा रहे हैं, वहीं बिहार की बेटियां भी बेटों से कम नहीं हैं। वह भी अपनी प्रतिभा से प्रदेश का परचम लहरा रही हैं। इंसान की राहों में मुश्किलें ज़रूर आती हैं, कुछ लोग मुश्किलों से हार मान जाते हैं, तो कुछ लोग उन परेशानियों से जूझते हुए कामयाबी का परचम भी लहराते हैं। आज हम आपको बिहार के सहरसा ज़िले की बेटी लक्ष्मी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने काफी मुश्किलों का सामना किया लेकिन हार नहीं मानी। लक्ष्मी झा ने तुर्किये की सबसे ऊंची (16854 फीट) चोटी अरारत पर्वत की चढ़ाई कर भारत का ध्वज लहराया। लक्ष्मी ने माउंट अरारत पर तिरंगा लहराने वाली भारत की पहली महिला पर्वतारोही बनने का दावा किया है।

लक्ष्मी ने काफ़ी मशक्कत से हासिल किया मुकाम

लक्ष्मी ने यह उपलब्धि 41 घंटे में चढ़ाई करके पूरी की। ऐसा करने वाली लक्ष्मी देश की पहली महिला भारतीय बनी। उन्होंने बताया कि चढ़ाई के दौरान -15 डिग्री का टेंपरेचर था जो हड्डी को गला सकता है ऐसे में अपने पथ पर डटे रहना और मंजिल पूरा करने में काफी मुश्किलें आई। लेकिन अगर हौसला हो तो कोई भी मुश्किल से पार पाया जा सकता है।

लक्ष्मी ने 12 अगस्त 2023 को आर के सिन्हा भाजपा के पूर्व सांसद एसआईएस कंपनी के संस्थापक से फ्लैग ऑफ लेकर तुर्की के सबसे ऊंची चोटी (16854 फिट) अरारत पर अपने देश के तिरंगा को फराने के लिए दिल्ली से इस्तांमबुल से दोगुबेयाजित सिटी पहुंची। वहां पहुंचते ही लक्ष्मी झा को पता चला की अरारत चोटी पर मौसम खराब बर्फबारी तेज तूफान हो रहे हैं। इसलिए 15 अगस्त समिट करने का प्लान कैंसिल करना पड़ा 18 को पता चला मौसम सही है, फिर लक्ष्मी झा ने 18 को ही निकल पड़ी समिट के लिए 6 घंटे चढ़ाई करने के बाद पहले पहले बेस कैंप पहुंची। जिसकी ऊंचाई 3000 मीटर है। अगले दिन 3 घंटे की चढ़ाई करके बेस कैंप 4200 मीटर की ऊंचाई पर पहुंची लक्ष्मी को इस मिशन को कम से कम टाइम में पूरी करनी थी।बेस कैंप के ऊपर केवल बादल ही दिखाई दे रहे थे। मौसम काफी खराब था लक्ष्मी अन्तत: समिट के लिए 21 तारीख के रात को 1:00 बजे निकली । कठिन व खरीद चढ़ाई पर समिट करने में परेशानी हो रही थी। पूरा का पूरा पत्थरों से भरा हुआ रास्ता था जहां पर एक दो बार पत्थर ऊपर से भी आए और एक दो बार खिसक के नीचे भी गिरे बहुत डर भी लग रही थी। ऊपर से हड्डी गला देने वाली -15 डिग्री का टेंपरेचर थी। हिम्मत भी टूट रही थी लेकिन लक्ष्य को पूरा करनी थी।

गाइड ने भी छोड़ा साथ

लक्ष्मी ने बताया कि इसी बीच में मेरे गाइड ने भी मेरा साथ छोड़ दिया। वो बोल रहे थे चलो नीचे चलते हैं। मौसम खराब हो रहा है। मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा, लक्ष्मी ने बताया कि कभी-कभी चलते-चलते हिम्मत भी टूट रही थी लेकिन लक्ष्य को हासिल करना था। राष्ट्रीय ध्वज को देखकर शक्ति मिलती थी कुछ घंटे चलने के बाद जब सवेरा हुआ मंजिल सामने दिखाई दिया तो हौसला और बुलंद हुआ की नहीं अब तो फतेह करके ही जिंदा वापस जाना है। 6 घंटे चलने के बाद भारत का गौरवशाली तिरंगा माउंट अरारत पर फहराया। माउंट अरारत की पूरी चढ़ाई 41 घंटे में पूरी की। लक्ष्मी माउंट अरारत की चढ़ाई करने वाली पहली भारतीय बेटी है। जिसने तुर्की देश के सबसे ऊंचे पर्वत माउंट अरारत पर भारत का तिरंगा लहराया।

दक्षिण अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलिमंजारो पर भारत का झंडा लहराया
लक्ष्मी झा ने अपने अनुभव को बताते हुए कहा कि भारत की ओर से सबसे पहली महिला है जिसने कम से कम समय में किलिमअंजारो पर्वत की चढ़ाई की है । उन्हें शिखर पर चढ़ने में भी सिर्फ 36 घंटे लगे जबकि अभी तक अन्य लोगो ने 6 से 8 दिन का समय लगाया है। विश्व की सबसे कठिन चढ़ाई में एक चढ़ाई किलिमअंजारो पर्वत को भी माना गया है । इसकी ऊंचाई 58.95 मीटर है जबकि एवरेस्ट की ऊंचाई 88.48 मीटर है।

सिर पर नहीं है पिता का साया

सहरसा ज़िले के बनगांव (कहरा प्रखंड) की रहने वाली लक्ष्मी के सिर पर पिता का साया नहीं है। मां सरिता देवी ने काफी परेशानियों से गुज़रते हुए बेटियों की परवरिश की है। लक्ष्मी अपने परिवार में सबसे छोटी है, परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के बावजूद सरिता देवी अपनी चार बेटियों की अच्छे से परवरिश कर रही हैं। इसी का यह नतीजा है कि लक्ष्मी ने दूसरों के लिए उदाहरण सेट किया है। अब लक्ष्मी माउंट एवरेस्ट फतह करने की तैयारी में जुट गई हैं।