पटना : महान अभियंता, भारत रत्न डॉ. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की जयंती के मौके पर जल संसाधन विभाग, बिहार सरकार द्वारा सिंचाई भवन में ‘अभियंता दिवस समारोह’ और ‘जल प्रबंधन में नवीनतम तकनीक’ विषय पर विशेष परिचर्चा का आयोजन किया गया।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संजय झा ने कहा कि जल संसाधन विभाग जल के सम्यक प्रबंधन, बाढ़ से सुरक्षा और सिंचाई सुविधाओं के विस्तार के लिए निरंतर नई एवं अत्याधुनिक तकनीक को उपयोग में ला रहा है। इसमें विभाग के अभियंता सराहनीय भूमिका निभा रहे हैं। अभियंतागण की तत्परता के कारण विभाग ने गया में अत्याधुनिक तकनीक पर आधारित बिहार के पहले, जबकि देश के सबसे बड़े रबर डैम ‘गया जी डैम’ को कोरोना काल की चुनौतियों के बावजूद निर्धारित समय से एक साल पहले पूरा कर लिया है। इस कार्य से विष्णुपद मंदिर के निकट सूखी रहने वाली फल्गु नदी में अब सालोभर जल उपलब्ध रहेगा। संजय झा ने कहा कि बिहार का नेतृत्व एक इंजीनियर मुख्यमंत्री के हाथ में है। उनके कुशल मार्गदर्शन में जल संसाधन विभाग ने हाल के वर्षों में कई नई तकनीक को प्रदेश में पहली बार प्रयोग में लाया है। गया, बोधगया, राजगीर और नवादा शहरों का पेयजल संकट दूर करने के लिए गंगा जल आपूर्ति जैसी महत्वाकांक्षी योजना पर बिहार में पहली बार काम हो रहा है। यह योजना अब पूर्णता की ओर है। इसी तरह बाढ़ से सुरक्षा के लिए अत्याधुनिक अर्ली वार्निंग सिस्टम, स्टील शीट पाइलिंग, जियो टयूब स्टर्ड सहित कई नई तकनीक को आजमाने के काफी अच्छे परिणाम सामने आये हैं। माननीय मुख्यमंत्री के निश्चय के अनुरूप प्रदेश के हर खेत तक सिंचाई का पानी पहुंचाने की योजनाओं को धरातल पर उतारने के लिए भी विभाग के अभियंता तत्परता से काम कर रहे हैं। जल संसाधन मंत्री ने कहा कि विभाग के अभियंताओं को जल प्रबंधन की आधुनिक तकनीक से परिचित कराने के लिए समयबद्ध प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाएगी। इसमें आईआईएम एवं अन्य शोध संस्थानों की मदद ली जाएगी।

विभाग के सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने कहा कि इस वर्ष बाढ़ सीजन में तटबंधों की निगरानी, कटाव से सुरक्षा और अल्प वर्षापात से प्रभावित जिलों में सिंचाई हेतु नहरों के अंतिम छोर तक पानी पहुंचाने के लिए विभाग के अभियंतागण ने जिस तत्परता और प्रतिबद्धता के साथ काम किया है, वह सराहनीय है। इस सीजन में उत्तर बिहार में कई नदियां खतरे के निशान से ऊपर पहुंची, लेकिन कहीं भी तटबंध टूटने की कोई घटना नहीं हुई। इसी तरह दक्षिण बिहार के कई जिलों में नहरों में लबालब पानी भरे होने के कारण ही खेती संभव हो पाई है। विशेष परिचर्चा में इंजीनियर इन चीफ (हेडक्वार्टर) रवींद्र कुमार शंकर, इंजीनियर इन चीफ (सिंचाई सृजन) ईश्वर चंद्र ठाकुर, मुख्य अभियंता (योजना एवं मॉनीटरिंग) नंद कुमार झा ने भी अपने विचार रखे और अभियंताओं की भूमिका की सराहना की। वक्ताओं ने महान अभियंता, भारत रत्न डॉ. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के महत्वपूर्ण योगदान की भी चर्चा की और अभियंतागण से प्रेरणा लेने का आह्वान किया। इस दौरान मुख्यालय के सभी अधिकारी एवं अभियंता मौजूद थे।