2024 में नरेंद्र मोदी को पटखनी देने के लिए विपक्षी दलों के नेताओं का बेंगलुरु में महाजूटान हो रहा है। कभी एक दूसरे के कट्टर विरोधी रहे नेता भी अपने-अपने सिद्धांतों से समझौता कर यहाँ मोदी को हराने का फॉर्मूला सेट करेंगे। इस सबके बावजूद भी संयोजक को 2024 के चुनाव तक इन सभी नेताओं को समेट कर रख पाना मेढकों को एक तराजू पर तौलने के समान होगा।
डेस्क : विपक्षी पार्टियों की दो दिवसीय बैठक आज से बेंगलुरु में शुरू हो रही है। बैठक में यह रणनीति तैयार होगी कि 2024 में नरेंद्र मोदी को पटखनी देने के लिए किस फार्मूले पर आगे बढ़ेगा। देश में अगले साल लोकसभा चुनाव होने हैं। आम चुनावों को देखते हुए सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों ही अपनी-अपनी रणनीति तैयार करने में जुटे हैं। विपक्ष की ओर से पटना के बाद अब बेंगलुरु में बैठक का आयोजन किया जा रहा है। 17 और 18 जुलाई को बेंगलुरु में विपक्षी दलों का जमावड़ा लगेगा। इस बैठक की अध्यक्षता कांग्रेस करने वाली है। पटना में विपक्षी एकता की नींव रखने के बाद बेंगलुरु में उस पर इमारत खड़ी करने की कोशिश होगी। बिहार से जो दो बड़े नेता इसमें भाग लेंगे वे हैं लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार। 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी के रथ को रोकने के लिए ये बड़ी पहल है। इसमें 26 पार्टियां शामिल होने जा रही हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद की मदद से देश के कई नेताओं से जाकर मुलाकात की और बीजेपी के खिलाफ विपक्षी एकता पर फोकस किया। इसका इनाम उन्हें बेगलुरू में मिलने जा रहा है। नीतीश कुमार को विपक्ष का संयोजक बना जा सकता है।
सीट शेयरिंग पर बनेगी सहमति?
वहीं, विपक्षी दलों की बैठक पर बीजेपी ने तंज कसते हुए कहा कि विपक्ष नेताओं को समझा आ चुका है कि उनकी हार तय है इसलिए वो बैठक बुला रहे हैं। बेंगलुरु में होने वाली विपक्ष की बैठक में 26 दलों को आमंत्रण भेजा गया है। ये संख्या पटना में हुई विपक्षी एकता की बैठक से ज्यादा है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल उठता है कि क्या विपक्ष लोकसभा चुनाव तक एकजुट रह सकेगा। क्या विपक्षी दलों में बिना लड़े सीट शेयरिंग पर सहमति बन सकेगी। ये सवाल है जो बेंगलुरू में होने वाले बैठक में सबसे ज्यादा चर्चा होने वाली है।
2024 में किसका पलड़ा होगा भारी ?
18 जुलाई का दिन देश की राजनीति के लिए काफी अहम रहने वाला है। जहां एक ओर बेंगलुरु में विपक्षी नेता मिलकर मोदी को हराने का प्लान तैयार करेंगे. वहीं, दूसरी ओर बीजेपी की ओर से अपने सहयोगियों के साथ शक्ति-प्रदर्शन किया जाएगा। बीजेपी ने 18 जुलाई को नई दिल्ली में एनडीए के सभी नए और पुराने दलों के नेताओं की बैठक बुलाई है। बैठक में उन दलों को भी बुलाया गया है, जो आगामी चुनाव में बीजेपी के साथ दिखाई देंगे। इस बैठक में लोजपा (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान को भी निमंत्रण भेजा गया है। चिराग के अलावा हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के संरक्षक जीतन राम मांझी को भी निमंत्रण गया है। वहीं, महागठबंधन NDA को खोखला बता रही है।
पीडीए या यूपीए हो सकता है महागठबंधन का नाम
रही बात यूपीए और पीडीए की तो विपक्षी दलों के निर्णायक नेताओं ने एक ही स्टैंड तय किया है कि विपक्षी एकता की राह में कोई रोड़ा नहीं आने देंगे। अगर कांग्रेस ज्यादा असहमत नहीं होकर यूपीए को खत्म कर पीडीए के लिए राजी हो जाती है तो उसे राजी कराएंगे। अगर कांग्रेस अड़ जाती है तो बाकी दलों को यूपीए के बैनर तले ही विपक्षी एकता की कोशिशों को आगे बढ़ाने के लिए राजी कराएंगे। लालू-नीतीश ही नहीं, बिहार कांग्रेस के कुछ पुराने नेताओं का भी मानना है कि यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी बैठक में रहेंगी तो उनके सामने यूपीए को खत्म करने के लिए कांग्रेस तैयार नहीं होगी। ऐसे में इस बात पर बेंगलुरु में भी पटना के आप वाले स्टैंड की तरह गरमागरमी से भी इनकार नहीं किया जा सकता है।