पटना : न्याय-मंच, बिहार के संस्थापक पवन राठौर ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि राज्यसभा में राजद सांसद मनोज झा द्वारा ठाकुरों पर कविता के माध्यम से टिप्पणी करना निंदनीय व अशोभनीय है। मनोज झा जैसे तथाकथित समाजवादी नेता का ठाकुरों पर व्यंग्य करना कुंठित मानसिकता का परिचायक है। लोकतंत्र में आज़ादी की अभिव्यक्ति है और सबों को बोलने का अधिकार है लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि आप बिना सोचे समझे कुछ भी बोल देंगे जो सरासर गलत व शर्मनाक है। इससे मालूम चलता है कि आप बुद्धिजीवी नहीं छद्म बुद्धिजीवी हैं।

आगे न्याय-मंच के संस्थापक पवन राठौर ने कहा कि किसी जाति समाज विशेष जिसमें क्षत्रियों पर जिसको ठाकुर कहा जाता है, जिस समाज ने इस भारत भूमि की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया उस “ठाकुर” पर एक प्रोफेसर के साथ-साथ राजद से राज्यसभा सांसद होते हुए इस तरह की कविता से व्यंग्यात्मक लहजे में संसद में बातें रखना काफी दुर्भाग्यपूर्ण है। राजद सांसद मनोज झा जैसे छद्म व तथाकथित बुद्धिजीवी व समाजवादी को राजपूत समाज यानि ठाकुरों का इतिहास पढ़ लेना चाहिए और ईमानदारी से पढ़ लेने से तब समझ मे आएगी की इस भारत भूमि के लिए ठाकुरों का कितना अहम व महत्वपूर्ण बलिदान व योगदान रहा है जिसके कारण आज मनोज झा जैसे लोग अपने नाम मे झा लगा पा रहे हैं वरना ठाकुरों का बलिदान नहीं रहता तो आज आप क्या होते वो खुद राष्ट्र का इतिहास उठाकर पढ़ लेने से समझ जाएंगे। इस तरह की कविता पढ़कर मनोज झा को लग रहा होगा कि महिला आरक्षण बिल पर बहुत अच्छा बोला लेकिन कविता व महिला बिल का कोई तारतम्य नहीं है और ऐसा बोलकर आपने अपने ब्राह्मण समाज को भी शर्मसार कर दिया साथ ही साथ क्षत्रिय समाज को उद्वेलित व आक्रोशित कर दिया। क्षत्रिय समाज हमेशा ब्राह्मणों की आदर व सम्मान करता रहा है लेकिन आपके जैसे पढ़े-लिखे प्रोफेसर की तुच्छ बुद्धि व घटिया सोच के कारण ब्राह्मण समाज का आदर व सम्मान समाज मे घट जाएगा।

आगे मंच के संस्थापक पवन राठौर ने कहा कि राजद सांसद मनोज झा अविलंब अपने कविता पाठ के द्वारा ठाकुरों पर टिप्पणी करने के लिए मांफी मांगे इतना ही नहीं उनकी पार्टी राजद को चाहिए कि समाज मे विद्वेष फैलाने वाले मनोज झा जैसे सांसद को पार्टी से निष्काषित करे तब ही समझ मे आएगी की राजद “ए टू जेड” की पार्टी वाली बात सही में क़रतीं है।