पटना : पटना में महिला एवं बाल विकास निगम, द्वारा जेंडर बजटिंग पर आज राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। जेंडर बजटिंग पर राज्य स्तरीय कार्यशाला समाज कल्याण विभाग, के लिए आयोजन किया गया जिसमे विभाग के मुख्यालय एवं क्षेत्रीय पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया । कार्यशाला के आयोजन C3 के तत्वावधान में किया गया । कार्यशाला का विधिगत उद्घाटन मुख्य अतिथि समाज कल्याण विभाग के मन्त्री मदन सहनी के द्वारा महिला एवं बाल विकास निगम की अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक हरजोत कौर बम्हरा एवं समाज कल्याण विभाग के सचिव प्रेम सिंह मीणा की उपस्थिति में दीप प्रज्वलित कर किया गया ।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए समाज कल्याण विभाग के मन्त्री मदन सहनी ने कहा कि बिहार सरकार शुरुआत से ही किशोरियों और महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए प्रतिबद्ध है । जब हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी ने लड़कियों के लिए साइकिल योजना की शुरुआत की थी तब इसका ज्यादा महत्व पता नहीं चल पाया था लेकिन अब इसका बदलाव दिख रहा है । जो बेटी घर से निकलती नहीं थी अब निकल रही है यह बदलाव हुआ है । बिहार पुलिस में बहुत बड़ी संख्या में बहुत संख्या में प्पुलिस कर्मी का होना इसी मुहिम का परिणाम है, जो अन्य राज्यों में आजतक नहीं हुआ है । माननीय मुख्यमंत्री जी ने जो दहेज प्रथा और बाल विवाह के प्रति जो जन जागरूकता लाने का काम किया है इसका परिणाम बहुत अच्छा मिला हैं । दहेज़ लेने वाले परिवारों से लड़कियां स्वयं ही शादी करने से इंकार कर देती है और जो महिला सशक्तिकरण जीता जागता उदहारण है । माननीय मुख्यमंत्री जी का शराबबंदी कार्यक्रम राज्य में महिलाओं के प्रति हिंसा घटाने काफी मददगार साबित हुई । इन सरे कार्यक्रमों को लागू करने में जीविका दीदियों की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका रही है । निगम की अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक हरजोत कौर बम्हरा ने कहा कि जेंडर का मतलब सिर्फ महिलाएं नहीं है , इसमें महिलाएं पुरुष और ट्रांसजेंडर सभी आते हैं। महिलाओं की स्थिति को सुधरने के लिए सरकारें सब तरफ के प्रयास में लगी हुई । सरकारों के पास जेंडर बजट एक टूल है । हमें संतुलन बनाना होता है कि आर्थिक उन्नति और सामाजिक विकास दोनों साथ-साथ कैसे चलें और उसी के लिए जेंडर बजट बनाया जाता है ताकि हम लोग दोनों लक्ष्यों को प्राप्त कर सकें। उन्होंने कहा कि जिस दिन यह भ्रान्ति दूर हो जाएगी कि लड़का और लड़की दोनों बराबर है, उस दिन समाज में आमूलचूल परिवर्तन हो जाएगा । समाज कल्याण विभाग के सचिव श्री प्रेम सिंह मीणा ने कहा कि पुरुष और महिला एक गाड़ी के दो पहिए हैं अगर बैलेंस नहीं होगा तो तो एक विकसित समाज के रूप में करने में हम लोग सफल नहीं होंगे । 2005 से अभी तक 17 वर्षों में जो ट्रांसफार्मेशन हुआ है वह अपने आप में काबिले तारीफ है । जेंडर बजटिंग के लिए राज्य सरकार द्वारा सभी विभागों को मिला कर तहत बिहार सरकार 36, 000 करोड़ की राशि सालाना एलोकेट करती है। नोडल विभाग के रूप में वित्त विभाग कंपाइलेशन का कार्य करता है लेकिन इसमें अग्रणी भूमिका हम लोगों को इसमें निभानी होगी और जो डेटाबेस अलग लगा डिपार्टमेंट में बन रहा है । अगर हम रियल टाइम डाटा एनालाइज कर लें तो भविष्य में नीति बनाने में बहुत मुश्किल नहीं होगी ।निगम के कार्यपालक निदेशक ने कार्यक्रम के दौरान अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि आज की इस कार्यशाला का उद्देश्य राज्य और जिला स्तर के पदाधिकारियों को जेंडर बजट की अवधारणा, उसकी व्यवस्था पर उनका उन्मुखीकरणकरना इसका बेहतर क्रियानवयन सुनिश्चित करना है ।कार्यक्रम के तकनीकी सत्र में Budget, Analysis and Research Centre Trust के निदेशक डॉ निसार अहमद ने कहा कि भारत सरकार 2005 से जेंडर बजट कर रहा है वही बिहार में यह 2008 में शुरुर हुआ है । 2022 -23 में बिहार के कुल बजट का 15 प्रतिशत जेंडर बजट के लिए एलोकेट किया गया है । जो बिहार के कुल जीडीपी का 5 फीसदी है ।आद्री की डॉ बर्ना गांगुली ने कहा कि सोशल इंडिकेटर में हम अच्छा कर रहे हैं पर और बेहतर करने की जरुरत है । बिहार सरकार मुख्य बजट के अलावा, जेंडर बजट, चाइल्ड बजट, आउटकॉम अचीवमेंट और आगे चलकर न्यूट्रीशन बजट भी बनाने वाली है । कार्यक्रम के दौरान सभी प्रतिभागियों को 4 समूहों में बाँट कर बाल विवाह, दहेज़ प्रथा, महिलाओं के विरुद्ध हिंसा, कुपोषण विषयों परसमूह कार्य किया । कार्यक्रम में अंत में निगम के निदेशक श्री राजीव वर्मा ने जेंडर बजटिंग की अहम भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कार्यशाला में उपस्थित सभी प्रतिभागियों को सक्रिय रूप से भाग के लिए धन्यवाद दिया ।