पटना : बड़ी कविता वही है जो संसार को सुंदर बनाती है। कविता लोक-रंजक और कल्याणकारी होनी चाहिए। जिसमें पाठकों का हृदय जीत लेने और गुणात्मक परिवर्तन लाने की शक्ति हो, वही रचना सार्थक और दीर्घायु होती है। बड़ी कविता, प्रेम से लबालब भरे विशाल हृदय वाले कवि के कंठ से फूटती है। तभी तो हम बाल्मीकि, तुआसी, सूर, कबीर, मीरा, रहीम और रसखान को आज भी स्मरण करते हैं। यह बातें मंगलवार को, महाराष्ट्र की प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था ‘गुँफन अकादमी’ और गोवा की संस्था ‘साहित्य लेणी प्रतिष्ठान’ के सौजन्य से बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में आयोजित ‘बहु-भाषीय कवि-सम्मेलन’ की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही।

डा सुलभ ने कहा कि महाराष्ट्र के कवियों और संतों का हिन्दी भाषा और भारतीय संस्कृति के उन्नयन में बड़ा ही योगदान रहा है। यह गौरव की बात है कि महाराष्ट्र और गोवा की दो संस्थाओं से जुड़े आधा दर्जन कवियों और कवयित्रियों का सम्मेलन के ऐतिहासिक प्रांगण में सम्मान हो रहा है। इस अवसर पर विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ, ईशीपुर द्वारा अतिथि-साहित्यकारों को ‘विद्यावाचस्पति’ एवं अन्य उपाधियों से अलंकृत किया गया। उपाधि-पत्र आयोजन के मुख्य अतिथि दूरदर्शन,बिहार के कार्यक्रम प्रमुख डा राज कुमार नाहर द्वारा प्रदान किया गया।

बहुभाषा कवि-सम्मेलन का आरंभ गुँफन अकादमी के अध्यक्ष और मराठी के वरिष्ठ कवि डा बसवेश्वर चेणगे ने किया। उन्होंने कहा कि बिहार और महाराष्ट्र का बहुत ही मज़बूत सांस्कृतिक संबंध है। इस तरह के संयुक्त आयोजन हमारी सांस्कृतिक एकता को सुदृढ़ करते हैं। गुँफन अकादमी देश भर के साहित्यकारों और संस्कृति कर्मियों को जोड़ने का कार्य कर रही है। बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के साथ जुड़कर हम सभी देश भर में प्रेमभाव बढ़ाकर एकता स्थापित कर सकते हैं।

साहित्य लेणी प्रतिष्ठान, गोवा की अध्यक्ष चित्रा क्षीरसागर, दीपा मिरिंगकर, अपूर्वा ग़्रामोपाध्ये, रजनी रायकर तथा प्रकाश क्षीर सागर ने मराठी और कोंकणी में अपनी कविताएँ पढ़ीं। स्थानीय कवियों में वरिष्ठ कवि बच्चा ठाकुर ने ‘मैथिली’ में, ब्रह्मानन्द पाण्डेय ने भोजपुरी में,श्याम बिहारी प्रभाकर तथा जय प्रकाश पुजारी ने ‘मगही’ में, डा आर प्रवेश ने अंगिका में, शायरा तलत परवीन तथा मोहम्मद असलम ने ऊर्दू में, प्रेमचन्द पाण्डेय, डा मेहता नगेंद्र सिंह, महेन्द्र मयंक, कुमार अनुपम, इन्दु उपाध्याय, शंकर शरण मधुकर, डा मनोज गोवर्द्धनपुरी, ई अशोक कुमार, चितरंजन भारती, अर्जुन प्रसाद सिंह, पंकज कुमार सिंह तथा अरविंद अकेला ने हिन्दी में अपनी रचनाओं का पाठ किया।

मंच का संचालन कवि ब्रह्मानन्द पाण्डेय ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन कृष्ण रंजन सिंह ने किया। इस अवसर पर सम्मेलन के अर्थ मंत्री प्रो सुशील कुमार झा, अवध बिहारी सिंह, डा अमरनाथ प्रसाद, शशि भूषण कुमार, बाँके बिहारी साव, डा चंद्रशेखर आज़ाद, बसंत गोयल, एजाज़ अहमद,अमीरनाथ शर्मा, नन्दन कुमार मीत आदि प्रबुद्धजन उपस्थित थे।