पटना : जदयू के प्रदेश सचिव मनोज लाल दास मनु ने कहा कि भारतीय राजनीति में उपेन्द्र कुशवाहा जी जैसा अहसानफरोस कोई दुसरा हो ही नही सकता। जिस नीतीश जी ने तमाम कार्यकर्ताओं और नेताओं का विरोध को दरकिनार कर उपेन्द्र कुशवाहा जी को तीसरी बार जदयू में शामिल कर संसदीय बोर्ड का अध्य्क्ष बना सम्मान दिया, आज उनके उपर आरोप लगा रहे है। जो कार्यकता पार्टी के बढ़त के लिए अपना खून पसीना बहाये थे उनकी बलि चढ़ाकर श्री कुशवाहा जी को विधान परिषद का सदस्य बना दिया। वैसे उपेन्द्र कुशवाहा जी के मुंह से कसम खाने की बात करना शोभा नही देता है। नीतिश जी को कोई कसम खाने की जरूरत ही नही है, क्योंकि उनके राजनीति में सुचिता बरतने में नाम राष्ट्रीय स्तर पर शुमार है। कसम तो उपेन्द्र कुशवाहा जी को खा कर देश को बताना चाहिए कि 2015 के विधान सभा चुनाव में टिकट के नाम पर प्रदीप मिश्रा, मोतिहारी के अशोक गुप्ता से पैसा लिए थे कि नहीं। श्री कुशवाहा को कसम खाकर ये भी बताना चाहिए कि डेहरी से फत्ते बहादुर सिंह के बजाय रिंकू सोनी को कैसे टिकट मिल गया। उन्हे ये भी कसम खाकर बोलना चाहिए कि मोतिहारी से महागठबंधन से मिले टिकट अपने दल के नेताओ को न देकर दुसरे दल के नेता को आयात कर क्यों दिया। पार्टी में आने जानें पर दूसरे नेताओं पर उंगली उठाने के बजाय खुद को देखना चाहिए।

श्री मनु ने कहा कि महत्वाकांक्षी होना अच्छी बात है लेकिन अति महत्वाकांक्षी होना श्री कुशवाहा के लिए उचित नही हैं। नीतिश कुमार जी किसी भी गठबंधन में आए कभी उन्होंने किसी नेता के खिलाफ बोलकर नही आए। लेकिन कुशवाहा केंद्र में मंत्री पद से त्यागपत्र प्रधान मंत्री के खिलाफ बोलकर आए। श्री मनु ने कहा कि जदयू में सर्वमान्य नेता कोई है तो वे नीतिश कुमार है। उनके खिलाफ अनर्गल बाते बोलने वाले को जदयू के कार्यकर्ता कभी स्वीकार नहीं कर सकते है। पार्टी में राष्ट्रीय स्तर पर कोई समस्या के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष सांसद ललन सिंह जी और बिहार के किसी समस्या के लिए उमेश कुशवाहा जी है। उन्हे राष्ट्रीय या राज्य स्तर की कोई समस्या थी तो दोनो नेताओ से डिसकस कर सकते थे। सीधे मुख्य्मंत्री जी से बात कर सकते थे। आज जब कोई अदना सा कार्यकर्ता भी मुख्यमंत्री जी से बात करने के समय मांगता है तो मुख्यमंत्री समय निकालकर बात करते है अथवा कार्यालय में मिल लेते है। ये बात उपेंद्र कुशवाहा जी को भी पता है। फिर भी यह आरोप लगाना कही से उचित नही है।2020 में बसपा, ओबैसी के सहयोग से बिहार के मुख्यमंत्री बन रहे कुशवाहा जीरो बन गए। श्री कुशवाहा के कारण जदयू ने 16 -17 जीती सीट भी हार गईं। इसके बाबजूद कुशवाहा जी को जदयू में भारी विरोध के बाबजूद शामिल कराकर संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष और एमएलसी बनाने वाले नीतिश कुमार जी के ऊपर ऊंगली उठाने वाले को जदयू कार्यकर्ता कभी माफ नहीं करेगी।