पटना : बिहार के कृषिमंत्री कुमार सर्वजीत द्वारा कृषि विभाग, बिहार द्वारा सी॰आई॰आई॰ के सहयोग से 09-12 फरवरी तक गाँधी मैदान, पटना में आयोजित एग्रो बिहार, 2023 राज्यस्तरीय कृषि यांत्रिकरण प्रदर्शनी का उद्घाटन किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता कृषि विभाग के सचिव डाॅ॰ एन॰ सरवण कुमार द्वारा की गई। आज इस मेला में विभिन्न जिलों के किसानों द्वारा स्ट्राॅ-रीपर, सुपर सीडर सहित 89 कृषि यंत्रों का क्रय किया गया, जिस पर 84.25 लाख रूपये अनुदान दिया गया। इसके अतिरिक्त 07 कृषि यंत्र बैंक के लिए 26 कृषि यंत्रों का क्रय किया गया, जिस पर कुल 68 लाख रूपये अनुदान दिया गया।
कृषि मंत्री ने अपने सम्बोधन में कहा कि कृषि विभाग द्वारा सी॰आई॰आई॰ के सहयोग से गाँधी मैदान, पटना में 09 से 12 फरवरी, 2023 तक एग्रो बिहार, 2023 राज्यस्तरीय कृषि यांत्रिकरण मेला का आयोजन किया जा रहा है, जो पूर्वी भारत का सबसे बड़ा यांत्रिकरण मेला है। उन्होंने कहा कि आधुनिक तरीके से खेती के लिए आधुनिक कृषि यंत्रों का उपयोग काफी महत्वपूर्ण है। हमारी सरकार राज्य के किसानों की समृद्धि एवं उनके उतरोत्तर विकास के लिए पूरी दृढ़ता से प्रयत्नशील है। सरकार किसानों को खेती के लिए आवश्यक सभी महत्वपूर्ण उपादान जैसे गुणवत्तापूर्ण बीज से लेकर कृषि यंत्र तक अनुदानित दर पर उपलब्ध करा रही है। किसान अत्याधुनिक कृषि यंत्रों के उपयोग से समय पर खेती करने में सक्षम हुए हैं। कृषकों को सभी प्रकार की फसलों के उत्पादकता में वृद्धि लाने के लिए कृषि यंत्रों पर अनुदान दिये जाने के फलस्वरूप उत्पादन लागत में काफी कमी आई है तथा उत्पाद के गुणवत्ता में भी वृद्धि हुई है।


उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा कृषि यांत्रिकरण को बढ़ावा देने के लिए गुणवत्तायुक्त कृषि यांत्रिकरण योजनान्तर्गत वर्ष 2022-23 में कुल 90 प्रकार के विभिन्न कृषि यंत्रों पर अनुदान दिया जा रहा है। इस मेला में बड़ी संख्या में उन्नत कृषि यंत्रों का प्रदर्शन एवं बिक्री किया जा रहा है तथा फसल अवशेष प्रबंधन से संबंधित कृषि यंत्रों का विशेष रूप से प्रदर्शन एवं बिक्री किया जा रहा है। बिहार सरकार द्वारा किसानों को फसल अवशेष जलाने के बदले खेतों में ही उनका प्रबंधन कर खाद के रूप में उपयोग हेतु प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से कई नवीनतम कृषि यंत्रों यथा हैप्पी सीडर, स्ट्राॅ बेलर, स्ट्राॅ रीपर, सुपर सीडर, रोटरी मल्चर, स्लैशर, जीरो टिलेज मशीन, स्ट्राॅ मैनेजमेंट सिस्टम आदि यंत्रों पर सामान्य वर्ग के किसानों के लिए 75 प्रतिशत तथा अनुसूचित जाति/जनजाति और अत्यंत पिछड़ा वर्ग के किसानों के लिए 80 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। इसके अतिरिक्त अन्य कृषि यंत्रों पर भी अनुदान देय है।
उन्होंने आगे बताया कि इस मेला में कृषि यंत्रों के अतिरिक्त उद्यान, बीज, पौधा संरक्षण, भूमि संरक्षण, उर्वरक, प्रसस्ंकृत कृषि उत्पादों आदि का प्रदर्शन एवं बिक्री किया जा रहा है। साथ ही, एग्रो प्रोसेसिंग यंत्रों की भी बिक्री एवं प्रदर्शन किया जा रहा है। सरकार द्वारा चतुर्थ कृषि रोड मैप (2023-2028) तैयार किया जा रहा है, जिसमें कृषि यांत्रिकरण एक महत्वपूर्ण घटक है। आने वाले वर्षों में किसानों तक फसल आधारित एवं क्षेत्र आधारित कृषि यंत्रों को अनुदानित दर पर किसानों को उपलब्ध कराया जायेगा। साथ ही, फसल अवशेष प्रबंधन, कतार में बुआई, एग्रो प्रोसेसिंग, जलवायु के अनुकूल कृषि कार्य में उपयुक्त होने वाले कृषि यंत्रों पर विशेष बल दिया जायेगा। राज्य के सभी पंचायतों में कृषि यंत्रों की मरम्मति करने हेतु एक व्यक्ति को कृषि यंत्र मरम्मति हेतु व्यवहारिक प्रशिक्षण दिया जायेगा, ताकि वे किसानों के यंत्रों की ससमय मरम्मति एवं रख-रखाव कर सकेंगे तथा उन्हें स्वरोजगार मिलेगा। राज्य के सभी पंचायत में छोटे-छोटे जोत वाले किसानों तक कृषि यांत्रिकरण को पहुँचाने के लिए कृषि यंत्र बैंक स्थापित किया जायेगा।

इस मेला में बिहार के अलावे भारत के कई राज्यों के 100 से अधिक कृषि यंत्र निर्माता भाग ले रहे हंै। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्/कृषि विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिकगण एवं अन्य संस्थाओं के पदाधिकारी, उद्यमी आदि इस मेला में भाग ले रहे हैं।
श्री कुमार ने कहा कि कृषि विभाग द्वारा विकसित साॅफ्टवेयर के माध्यम से राज्य के कृषक अपनी सुविधानुसार, कहीं से भी आॅनलाइन आवेदन कर सकते हैं। अब तक इस वित्तीय वर्ष में किसानों द्वारा 1,42,800 से अधिक आॅनलाइन आवेदन किया जा चुका है। इन आवेदनों को विभिन्न स्तर पर आॅनलाइन सत्यापन कर, अब तक 40 हजार से अधिक स्वीकृति पत्र निर्गत किये जा चुके हैं तथा 21 हजार से अधिक कृषकों के बीच 64.14 करोड़ रूपये अनुदान की राशि वितरित की जा चुकी है। सरकार द्वारा कृषि यंत्रों का कस्टम हायरिंग केन्द्र स्थापित करने के लिए योजना चलाई जा रही है, जिसके अन्तर्गत 10 लाख रूपये की लागत वाले कस्टम हायरिंग केन्द्र हेतु 40 प्रतिशत अधिकतम 4 लाख रूपये अनुदान दिये जा रहे हैं। राज्य के 25 जिलों के चयनित ग्राम में 10 लाख की लागत वाले कृषि यंत्र बैंक हेतु 80 प्रतिशत अधिकतम 8 लाख रू॰ अनुदान दिया जा रहा है। फसल अवशेष प्रबंधन हेतु 20 लाख रू॰ की लागत से स्पेशल कस्टम हायरिंग सेन्टर की स्थापना की जा रही है, जिस पर अधिकतम 12 लाख रू॰ अनुदान दिया जा रहा है। इसके लिए इच्छुक किसान अपने प्रखंड कृषि पदाधिकारी, जिला कृषि पदाधिकारी से संपर्क स्थापित कर सकते हैं। कृषि यंत्र बैंक स्थापित किये जाने से छोटे एवं मझोले जोत के कृषकों को कम लागत में आधुनिक कृषि यंत्रों से खेती करने की सुविधा मिल सकेगी।
सचिव, कृषि विभाग, बिहार डाॅ॰ एन॰ सरवण कुमार ने बताया कि इस मेला का उद्देश्य कृषि यांत्रिकरण को प्रोत्साहित करना है। इस मेला का आयोजन कोरोना काल को छोड़कर वर्ष 2011 से लगातार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बिहार में मखाना प्रोसेसिंग के लिए आधुनिक यंत्र बनाने की बड़ी सम्भावना है। बिहार में कृषि यंत्र निर्माण करने वाली कम्पनियों को सरकार द्वारा 10 प्रतिशत अतिरिक्त अनुदान दिया जा रहा है, ताकि बिहार कृषि यंत्र वि-निर्माण में आत्मनिर्भर हो सके। उन्होंने राज्य के दोनों विश्वविद्यालयों से अपील किया कि सीमांत एवं छोटे किसानों के लिए उच्चगुणवत्तापूर्ण एवं कम लागत वाले कृषि यंत्र का अनुसंधान किया जाये। सीमांत एवं छोटे किसानों के लिए बड़े पैमाने पर कृषि यंत्र बैंक की स्थापना की जा रही है। राज्य में अभी तक 660 कृषि यंत्र बैंक की स्थापना की जा चुकी है, जिसमें 310 जीविका समूहों द्वारा की गई है। कृषि यंत्रों की मरम्मती के लिए युवाओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है, इसके अंतर्गत 25 दिनों का प्रशिक्षण राज्य के दोनों कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा दिया जा रहा है एवं प्रशिक्षण उपरांत उन्हें टूल कीट भी उपलब्ध कराया जा रहा है। डाॅ॰ कुमार ने किसानो से अपील किया कि फसल अवशेष को जलायें नहीं, कृषि यंत्रों के माध्यम से उसका प्रबंधन करें।
इस कार्यक्रम में पद्मश्री किसान चाची श्रीमती राजकुमारी देवी, डाॅ॰ राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ॰ पी॰एस॰ पाण्डेय, बिहार कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ॰ दुनियाराम सिंह, नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक डाॅ॰ सुनील कुमार, कृषि विभाग के विशेष सचिव रवीन्द नाथ राय एवं विजय कुमार, निदेशक उद्यान नंद किशोर, संयुक्त सचिव शैलेन्द्र कुमार, अपर निदेशक धनंजयपति त्रिपाठी, सी॰आई॰आई॰ के पूर्वी क्षेत्र के अध्यक्ष संजीव पाॅल, सी॰आई॰आई॰, बिहार के अध्यक्ष नरेन्द्र कुमार सहित अन्य पदाधिकारी एवं कर्मचारी तथा हजारों की संख्या में किसानगण उपस्थित थे।

एग्रो बिहार 2023 का मुख्य आकर्षण:
लगभग 3 लाख वर्ग फीट क्षेत्र में लगने वाले इस मेले में 125 से अधिक स्टाॅल लगाये गए हैं।
इस प्रदर्शनी में बिहार के अलावे दिल्ली, हरियाणा, गुजरात, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, राजस्थान, पंजाब, गुजरात, कर्नाटक, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों के कृषि यंत्र निर्माता भाग ले रहे हैं।
राज्य एवं राज्य के बाहर के वरीय पदाधिकारी, वैज्ञानिक, बुद्धिजीवी, उद्यमी भी मेला में भाग ले रहे हैं।
राज्य के सभी जिलों से 4500 किसानों को प्रतिदिन आत्मा के माध्यम से मेला भ्रमण की व्यवस्था की गई है। इसके साथ ही, राज्य के सभी जिलों से लगभग 500 कृषि यंत्र व्यवसायियों के भाग ले रहे हैं।
प्रत्येक दिन किसान पाठशाला में किसानों को बुआई से कटाई तक के नवीनतम कृषि यंत्र, फसल अवशेष प्रबंधन के यंत्र, बागवानी से संबंधित कृषि यंत्र, ड्रोन की उपयोगिता एवं महत्व, सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली का महत्व, खरपतवार नियंत्रण व निकाई-गुराई संबंधित यंत्र तथा कृषि यंत्रों की कार्य क्षमता बढ़ाने के लिए कल-पूर्जों के रख-रखाव एवं अन्य संबंधित विषयों पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
कृषि विभाग के भूमि संरक्षण, उद्यान, मिट्टी जाँच, बसोका, बामेती से संबंधित योजनाओं/क्रियाकलापों को प्रदर्शित किया गया है।
मेला परिसर में चलन्त मिट्टी जाँच प्रयोगशाला भी कार्यरत है, जहाँ किसान भाई मिट्टी की जाँच करवा कर जाँच रिपोर्ट प्राप्त कर सकते हैं।
मेला में खाद्य एवं प्रसंस्करण, पशुपालन, मत्स्य पालन, गव्य विकास, गन्ना उद्योग, उद्योग विभाग, सहकारिता, कम्फेड से संबंधित योजनाओं/क्रियाकलापों को प्रदर्शित किया गया है।
इस मेला में कृषि यंत्रों के निर्माताओं एवं विक्रेताओं की व्यावसायिक बैठक (B to B Meet) का आयोजन भी किया जायेगा। साथ ही यंत्र निर्माताओं एवं विभाग के वरीय पदाधिकारियों की बैठक (B to G Meet) का आयोजन किया जा रहा है।
स्थानीय विद्यालयों के बच्चों एवं कृषि महाविद्यालय में अध्ययनरत छात्र/छत्राओं के बीच कृषि के प्रति आकर्षण बढ़ाने के उद्देश्य से मेला भ्रमण कराने हेतु उन्हें आमंत्रित किया गया है।
मेला परिसर में कला, संस्कृति एवं युवा विभाग द्वारा प्रतिदिन कृषकों/आगंतुकों के मनोरंजन के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा। मेला में आंगतुकों के लिए बिहारी व्यंजनों का फूड कोर्ट की व्यवस्था भी की गई है।
इस मेला में प्रवेश निःशुल्क है। कोई भी किसान या आम नागरिक स्वेच्छा से इस प्रदर्शनी/मेला का भ्रमण कर सकते हैं। राज्य में अबतक किसानों से प्राप्त फसल अवशेष प्रबंधन से संबंधित अनुदानित दर पर क्रय किये गये यंत्रों की संख्या
क्र॰ सं॰ यंत्र का नाम कुल आवेदन क्रय किये गये यंत्रों की संख्या –
1 हैप्पी सीडर
(9 से 11 टाईन) 46 07
2 रोटरी मल्चर 339 44
3 स्ट्रा-बेलर 78 04
4 स्ट्रा-रीपर 1557 314
5 सुपर सीडर 822 164
6 रीपर 1872 490
7 रीपर-कम-बाइन्डर 2744 565
कुल 7458 1588