काठमाण्डू : नेपाल हिन्दी साहित्य सम्मेलन तथा पार्वती स्मृति प्रतिष्ठान, सर्लाही के संयुक्त तत्त्वावधान में, शनिवार की संध्या काठमाण्डू के बानेसर स्थित ‘ओक्टोबर कैफ़े’ में बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के सम्मान में एक समारोह का आयोजन किया गया। प्रतिष्ठान की ओर से डा सुलभ को ‘पार्वती स्मृति सम्मान’ से विभूषित किया गया। डा सुलभ को यह सम्मान, भाषा आयोग, नेपाल के अध्यक्ष और सुप्रसिद्ध भाषा-वैज्ञानिक डा गोपाल ठाकुर ने किया। सम्मान में प्राप्त हुई ग्यारह हज़ार रूपए की सम्मान-राशि को डा सुलभ ने ‘पार्वती स्मृति प्रतिष्ठान’ को अन्य साहित्यिक प्रयोजन के लिए अर्पित कर दी।

समारोह को संबोधित करते हुए डा ठाकुर ने कहा कि नेपाल में बोली जानेवाली बोलियों और भाषाओं की संख्या 124 है, जिनके संरक्षण और विकास के लिए उदारवादी नीति आवश्यक है। नेपाल में हिन्दी भाषा का सौहार्दपूर्ण विकास के लिए हम सभी तत्पर हैं।

सभा की अध्यक्षता करते हुए नेपाल सरकार के प्रज्ञा प्रतिष्ठान के पूर्व सदस्य-सचिव और नेपाली के वरिष्ठ साहित्यकार डा तुलसी भट्टराई ने कहा कि भारत और नेपाल का सांस्कृतिक संबंध आदि-कालीन है। हमें इसे और प्रगाढ़ करने पर बल देना चाहिए।

अपार स्नेह और सम्मान के लिए कृतज्ञता-ज्ञापित करते हुए, डा अनिल सुलभ ने कहा कि भारत-नेपाल के मध्य केवल सांस्कृतिक ही नहीं रक्त के संबंध भी हैं, जो कभी तोड़े नहीं जा सकते। उन्होंने आशा व्यक्त की कि जिस प्रकार भारत ने अपने शासकीय कार्यों के लिए संविधान की अष्टम अनुसूची में ‘नेपाली’ भाषा को सम्मिलित कर इसका उचित सम्मान किया है, उसी प्रकार नेपाल में ‘हिन्दी’ का सम्मान होना चाहिए। परस्पर सौहार्द के लिए भाषिक-सौहार्द भी आवश्यक है, क्योंकि भाषा सेतु का निर्माण करती है।

मदेसी आयोग की सदस्या और लेखिका आभा सेतु सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त किए। अतिथियों का अभिनन्दन नेपाल हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष और वरिष्ठ साहित्यकार डा राम दयाल राकेश ने तथा संचालन कवयित्री संगीता ठाकुर ने किया। वरिष्ठ लेखिका पूनम दहल, डा विप्लव धकाल, डा नागेन्द्र शाह, डा पद्मा आर्या, डा आरती शाह, तारादेवी शाह, आदित्य शाह, तारणी राज, प्रशांत शाह, काशीनाथ तनहा, रवींद्र कुमार शाह, शंकर भारती, राजेंद्र प्रसाद शाह समेत अनेक गण्य मान्य प्रबुद्धजन समारोह में उपस्थित थे।