पटना : 23 जनवरी को स्थानीय राजा बाजार (बेली रोड) स्थित न्याय-मंच, बिहार के कार्यालय में “सुभाषचंद्र बोस” की जयंती मनाई गई। इस मौके पर बोस के तैल चित्र पर मंच के संयोजक मनोज लाल दास “मनु”, संस्थापक पवन राठौर, अधिवक्ता रविप्रकाश, संजय कुमार सिंह, विशाल राज, दुर्गेश दुबे, केशव पांडेय, धीरज सिंह, कुमार गौरव आदि सदस्यों ने पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दिया।
इस मौके पर मंच के संयोजक “मनु” ने कहा कि सुभाषचंद्र बोस ने स्वतंत्रता संग्राम में कई क्रांतिकारी नारे दिए । उनके नारों में “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा, दिल्ली चलो और जय हिंद जैसे क्रांतिकारी नारे प्रमुख थे। इन नारों ने देश के लोगों को जोड़ दिया और जिससे आजादी की लड़ाई में देश को एकता के सूत्र में बांध दिया जिसका आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान रहा। स्वतंत्रता आंदोलन में बोस के योगदान का कोई सानी नहीं है। उनको हमसभी हमेशा याद रखें यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
इस अवसर पर उपस्थित न्याय-मंच के संस्थापक पवन राठौर ने कहा कि सुभाषचंद्र बोस यानी “नेताजी” के लिए राष्ट्र सर्वोपरि था। राष्ट्र के लिए उनके संघर्ष और योगदान सबसे अहम व महत्वपूर्ण था जिसको कभी भुलाया नहीं जा सकता। वे सच्चे राष्ट्र भक्त थे जिन्होंने “आजाद हिंद फौज” की स्थापना कर उसमें लोगों को जोड़कर अंग्रजों के खिलाफ बिगुल फूंका और भारत देश को अंग्रेजों के शासन से मुक्ति दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । ऐसे महान क्रांतिकारी नेता थे सुभाषचंद्र बोस। इतना ही नहीं वे भगवतगीता से काफी प्रेरित थे। नेताजी ने “द इंडियन स्ट्रगल” पुस्तक भी लिखी, जिसको पढ़कर मालूम चलेगा कि वे कितने बड़े राष्ट्रवादी थे, ऐसे महान “नेताजी” की जीवनी से हमसब को सीख लेनी चाहिए।