पटना : अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने से चंद घंटे पहले पटना के गुलबी घाट पर छठ की पहचान बन चुकी लोकगायिका शारदा सिन्हा पंचतत्व में विलीन हो गयी। नम आंखों से लोगों ने उन्हें अंतिम विदाई दी।
गुरुवार को दिन के 10.30 बजे गुलबी घाट पर पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका पार्थिव शरीर अग्नि को समर्पित कर दिया गया। उनके बेटे अंशुमान सिन्हा ने उनको मुखाग्नि दी। उनके अंतिम संस्कार में पूर्व केन्द्रीय मंत्री अश्विनी चौबे और पूर्व सांसद रामकृपाल यादव समेत बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे ।
अंतिम यात्रा में शामिल हुआ प्रशंसकों का हुजूम
इससे पहले शारदा सिन्हा का पार्थिव शरीर पटना के राजेंद्र नगर स्थित उनके घर से गुलबी घाट के लिए रवाना हुआ। गायिका शारदा सिन्हा के घरवालों ने उनके पार्थिव शरीर को कंधा दिया। अंतिम यात्रा में परिजनों के अलावा शारदा सिन्हा के प्रशंसक मौजूद रहे। अंतिम विदाई के दौरान शारदा सिन्हा अमर रहें और छठि मइया जय के नारे लगाए गए।
पांच नवंबर को हुआ था निधन
शारदा सिन्हा निधन दिल्ली के एम्स अस्पताल में 5 नवंबर को हुआ था। छठ महापर्व के पहले दिन शारदा सिन्हा ने रात करीब 9 बजकर 20 मिनट पर अंतिम सांस ली थी। छठ महापर्व के तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इसी दिन शारदा सिन्हा पंचतत्व में विलीन हो गयी। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शारदा सिन्हा का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ कराने की घोषणा की थी। उन्होंने पटना के जिलाधिकारी को इसके लिए सभी आवश्यक व्यवस्था कराने का निर्देश दिया था।
छठ गीत गाकर मिला था फेम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत फिल्म और म्यजिक जगत से जुड़े लोगों ने शारदा के निधन को सबसे बड़ी क्षति बताया है। भोजपुरी स्टार्स ने भी शारदा के निधन पर शोक जताया। उनके छठ गीतों के बिना ये पर्व हमेशा ही अधूरा माना गया है। शारदा ने अपने पूरे करियर में 9 एल्बम में 62 छठ गीत गाए थे। छठ पर्व के बीच शारदा का दुनिया छोड़ जाना फैंस को बड़ा झटका दे गया है। सिंगर ने भले ही दुनिया छोड़ दी, लेकिन अपने गानों की विरासत फैंस को देकर वो हमेशा के लिए अमर हो गई हैं।
बिहार के सुपौल जिले में 1 अक्टूबर, 1952 का जन्मीं शारदा ने करियर मैथिली गानों से शुरू किया था। उन्होंने भोजपुरी, मैथिली, हिंदी, मगही भाषा में गाने गाए थे। सलमान खान की मूवी ‘हम आपके हैं कौन’ का विदाई सॉन्ग ‘बाबुल’ उन्होंने गाया था। मूवी ‘मैंने प्यार किया’ में उन्होंने सॉन्ग ‘कहे तोसे सजना’ गाकर दिल जीता था। संगीत जगत में अपने योगदान के लिए शारदा को 1991 में पद्मश्री और 2018 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।