दरभंगा : वरिष्ठ समाजशास्त्री एवं पूर्व विधान पार्षद प्रो. विनोद कुमार चौधरी का रविवार सुबह निधन हो गया। लहेरियासराय के बलभद्रपुर स्थित आवास में उन्होंने अंतिम सांस ली। पूर्व विधान पार्षद प्रो. विनोद कुमार चौधरी 68 साल के थे। उनके छोटे भाई प्रो. विनय कुमार चौधरी बेनीपुर से विधायक और जदयू के प्रदेश प्रवक्ता हैं। वे कभी नीतीश कुमार के बेहद करीबी थे और जदयू से एमएलसी भी रह चुके थे। वे अपने पीछे पत्नी डॉ. सरोज चौधरी समेत दो बेटी जूही और पुष्पम प्रिया को छोड़ गए हैं।
बेटी के लिए की सीएम नीतीश से की बगावत
बता दें कि 2020 में विनोद कुमार चौधरी अपनी बेटी पुष्पम प्रिया चौधरी को लेकर चर्चा में रहे। उनकी ‘लंदन रिटर्न’ बेटी ने प्लूरल्स पार्टी नाम से एक पार्टी बना ली थी। उसके बाद खुद को सीएम कैंडिडेट घोषित कर दिया था। बेटी के खुद को सीएम कैंडिडेट घोषित करने पर इसे विनोद कुमार चौधरी का नीतीश कुमार से बगावत माना गया। विनोद कुमार चौधरी ने भी बेटी का पक्ष लिया था। हालांकि, पुष्पम को चुनाव में कोई सफलता नहीं मिली।
मुख्यमंत्री ने गहरी शोक संवेदना व्यक्त की
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पूर्व विधान पार्षद विनोद कुमार चौधरी के निधन पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है।मुख्यमंत्री ने अपने शोक संदेश में कहा कि वे एक कुशल राजनेता एवं समाजसेवी थे। उनके निधन से राजनीतिक एवं सामाजिक क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुई है। मुख्यमंत्री ने उनकी धर्म पत्नी और उनके भाई एवं जदयू विधायक विनय कुमार चौधरी से दूरभाष पर वार्ता कर उन्हें सांत्वना दी । मुख्यमंत्री ने दिवंगत आत्मा की चिर शान्ति तथा उनके परिजनों को दुःख की इस घड़ी धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है।
राजनीतिक करियर
प्रो. चौधरी के राजनीतिक करियर की बात करें तो साल 2008-14 तक दरभंगा स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से जदयू के विधान पार्षद रहे। वे ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा के स्नातकोत्तर समाजशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष से सेवानिवृत्त हुए थे।
उनका पैतृक गांव हायाघाट प्रखंड के विशनपुर गांव स्थित है। वे जदयू के दिग्गज नेता दिवंगत प्रो. उमाकांत चौधरी के ज्येष्ठ पुत्र थे। छात्र जीवन से ही सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों में उनकी सक्रियता रही। छात्रों की विभिन्न समस्याओं के लिए कई आंदोलनों का नेतृत्व किया। शिक्षक बनने के बाद शिक्षक राजनीति में सक्रिय भागीदारी रही।विनोद कुमार चौधरी ने ललित नाराण मिथिला विश्वविद्यालय स्नातकोत्तर शिक्षक संघ के अधिकारी के रूप में शिक्षक आंदोलनों का नेतृत्व किया। बाढ़ के दिनों में बचाव और राहत कार्यों में विशेष सक्रिय रहे।मिथिला एवं मैथिली के मान -सम्मान की रक्षा उनकी प्राथमिकता रही। मिथिला युवा केंद्र एवं यंग सोशियोलाजिस्ट फोरम में वर्षों तक सक्रिय रहे। अभी जदयू राज्य परिषद के सदस्य थे।
जिले में शोक की लहर
उनके निधन की सूचना पर उनके आवास पर विभिन्न दलों के नेता, कार्यकर्ता,शुभचिंतकों का जमावड़ा लगा हुआ है। उनके के निधन की खबर से शोक की लहर दौड़ गई है।