भारतीय बैंक मुद्रा का इतिहास

भारत के राष्ट्रीय प्रतीक में भारतीय मुद्रा भी अहम मानी जाती है। जिस प्रकार हर एक राष्ट्रीय प्रतीक का अपना अलग महत्व होता है और देश की छवि को दर्शाता है। ठीक उसी प्रकार भारतीय मुद्रा भी देश कि आर्थिक मजबूती और लेन -देन की स्थिति को दर्शाती है। तो आइए जानते हैं भारतीय मुद्रा के चिन्ह के बारे में –बता दें कि भारत की आधिकारिक मुद्रा भारतीय रुपया है और इस रुपये का प्रतीक ‘₹’ है। भारत सरकार ने 15 जुलाई 2010 में इस चिन्ह को स्वीकार कर लिया था। भारतीय करेंसी यानी कि रुपये का यह चिन्ह उदय कुमार ने बनाया है जो कि आईआईटी मुंबई के पोस्ट ग्रेजुएट के छात्र रह चुके हैं। इस चिन्ह को चुनने के लिए वित्त मंत्रालय ने एक खुली प्रतियोगिता का आयोजन किया था और फिर उस प्रतियोगता के हजारों डिजाइन में से रुपये का यह चिन्ह चुना था।

वर्तमान पीढ़ी के अधिकांश लोगों ने नोटों पर महात्मा गांधी की छवि देखी है। बहरहाल, ऐसा हमेशा नहीं होता I वास्तव में, गांधी पहली बार 1969 में अपनी 100वीं जयंती पर बैंकनोटों पर दिखाई दिए I इससे पहले, मंदिर, उपग्रह, बांध और प्रतिष्ठित उद्यान भारतीय कागज के नोटो को सुशोभित करते थे I

  • आरबीआई का गठन 1935 में हुआ था I इसने पहली बार 1938 में एक रुपये का नोट छापा था I इस नोट पर किंग जॉर्ज 6 का चित्र था I
  • आजादी के बाद आरबीआई ने स्वतंत्रता दिवस से तीन दिन पहले 1949 में अपना पहला नोट छापा I इस नोट में भारत का राष्ट्रीय चिन्ह अशोक चिन्ह था I
  • भारत के अग्रणी स्वतंत्रता सेनानी महात्मा गांधी 1969 में भारतीय नोटों पर दिखने लगे I उनकी 100 वीं जयंती मनाने के लिए उनकी फोटो बैंक नोटों पर छापा गया I
  • 1950 के दशक में 1,000 रुपये, 5,000 रुपये और 10,000 रुपये के नोटों में क्रमशः तंजौर मंदिर, गेटवे ऑफ इंडिया और लायन कैपिटल, अशोक प्रतीक थे I
  • बैंक नोटों पर संसद और ब्रह्मेश्वर मंदिर की तस्वीरें भी दिखाई दीं I 2 रुपये के नोट पर भारत का पहला उपग्रह आर्यभट्ट , 5 रुपये के नोट पर कृषि उपकरण, 10 रुपये के नोट पर एक मोर और 20 रुपये के नोट पर एक रथ का पहिया बाद में छापा गया I