पटना : बिहार जद(यू0) के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने कहा कि भाजपा के केंद्र व राज्य सरकार की मिलीभगत से मणिपुर में लोकतंत्र की आहुति दे दी गई। स्थानीय लोग अपनी जान को बचाने के लिए विस्थापित होने पर मजबूर हो गए हैं, सरकार के संरक्षण में उग्रवादी तत्व अब तक सैकड़ों निर्दाेषों की जान ले चुके हैं, मगर भाजपा के किसी नेता ने मणिपुर के लोकतंत्र पर अपनी चिंता जाहिर नहीं की। प्रदेश अध्यक्ष ने भाजपा पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि बिहार में भी ये लोग मणिपुर की तरह अराजक स्तिथि उत्पन्न करना चाहते थे मगर प्रदेश की सरकार व प्रशासन की सजगता ने भाजपा के हिंसात्मक मंसूबों को विफल कर दिया।

उन्होंने कहा कि 9 वर्षों से जिनके द्वारा भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों का सरेआम गला घोंटा जा रहा हो उनसे हमें लोकतंत्र का पाठ सीखने की कोई आवश्यकता नहीं है। देश की जनता जानती है कि किस प्रकार भाजपा के इशारे पर सिर्फ़ राजनीतिक प्रतिशोध की भावना से केंद्रीय जांच एजेंसियां देश के विपक्षी नेताओं को यातनाएं दे रही है और सत्ता विरोध की आवाज को कुचलने के लिए केंद्र की तानाशाही सरकार तरह-तरह के हथकंडे अपना रही है, क्या यही भाजपा का लोकतंत्र है?

कुशवाहा ने कहा कि यह बेहद विचित्र स्थिति है की भाजपा को मणिपुर में जलता हुआ लोकतंत्र भी जिंदा दिखाई देता है और लोकतंत्र की जननी बिहार में उन्हें लोकतंत्र मरा हुआ दिखाई देता है। अपने राजनीतिक सुविधानुसार भाजपा के लोग लोकतंत्र को तय करने का अलग-अलग परिभाषा गढ़ते हैं मगर होशियार जनता अब भाजपा के भाषाई लफ्फाजी और राजनीतिक ड्रामेबाजी में नहीं आने वाली है। प्रदेश अध्यक्ष ने पूछा कि भाजपा पहले यह जवाब दें मणिपुर में एक सौ से अधिक मासूमों की मृत्यु के पीछे का असली गुनहगार कौन है? और दिल्ली में किसान आंदोलन के दौरान हमारे सात सौ से अधिक किसान भाइयों ने जान गवाई उसका जिम्मेदार कौन है? भाजपा स्वयं लोकतंत्र की सबसे बड़ी दुश्मन है और उसके शासनकाल में लगातार लोकतांत्रिक व्यवस्था पर कुठाराघात किया गया है। जनता के मौलिक अधिकारों का दमनकर भाजपा द्वारा संवैधानिक व्यवस्था को भी छिन्न-भिन्न किया गया है। सभी संवैधानिक संस्थाओं पर भाजपा का अलोकतांत्रिक नियंत्रण है इसलिए भाजपा हमें लोकतंत्र का उपदेश ना दे।