मुंगेली : जिले सहित ब्लाक और ग्रामीण क्षेत्रो में खुलने वाले निजी अस्पताल पैथोलैबो की बाढ सी आ गई है, जो मरीजो के जान से बेखौफ खिलवाड कर रहे है। वही प्रशासनिक कार्यवाही के ये या तो अपने नियत स्थान से हट जाते है या फिर किसी की डिग्री उधार में लेकर अपना काम चला लेते है। गौरतलब हो कि पथरिया सरगांव लोरमी सहित जिला मुख्यालय से लगे आस पास के ग्रामीण क्षेत्रो में झोला छाप डाक्टरो सहित नये नये अस्पतालो की सूची में ईजाफा देखा जा रहा है, जो सरकारी अस्पतालो के मरीजो को बरगलाकर निजी अस्पतालो में कमीशन के चक्कर में ले जाते है बदले में उन निजी अस्पताल प्रबंधनो द्वारा उन्हे मोटी रकम दी जाती है। ऐसा ही मामला लोरमी ब्लाक में पुनः देखने को मिला है । पूरा मामला लोरमी के निजी हॉस्पिटल आन्या का है जहां कुछ दिन पहले झाफल निवासी सीताराम राजपूत अपनी माँ को 50 बिस्तर सरकारी हास्पिटल इलाज के लिए लेकर गया था 50 बिस्तर से हॉस्पिटल से मरीज को मुंगेली जिला हॉस्पिटल रिफर के दौरान सरकारी एम्बुलेंस के आने में देरी होने के कारण प्राइवेट एम्बुलेंस करना पड़ा जिसका ड्राइवर वैभव शर्मा के द्वारा मरीज के परिजन को बहला फुसला कर अच्छे से अच्छा इलाज कराने के बहाने पास ही के आन्या हॉस्पिटल ले कर छोड़ दिया जिसके बाद आन्या हॉस्पिटल संचालक जितेंन्द्र साहू के द्वारा आए मरीज के परिजनों पर लाखों रुपए का बोझ थमा दिया । मिली जानकारी के अनुसार इससे पहले भी एक मामला निजी हॉस्पिटल के डाक्टर जितेन्द्र साहू के द्वारा मरीज को कई महीनों से बंधक बनाने जैसी घटना को अंजाम दिया जा चुका है ।
गौरतलब है कि मुंगेली जिले के लोरमी में इन दिनों बिना रजिस्ट्रेशन के कई अवैध क्लीनिक और अस्पताल का संचालन किया जा रहा है। नियमानुसार एमबीबीएस डॉक्टर रहने के बाद ही हॉस्पिटल का संचालन करना संभव है परंतु सभी नियमों को दरकिनार कर कई अस्पताल का संचालन किया जा रहा है। जिसका उदाहण इसी बात से लगाया जा सकता है जिसमें नोटिस के बाद भी धडल्ले से अस्पताल प्रबंधन द्वारा संचालित है बेलगाम होते निजी एंबुलेस वाहन – मुंगेली जिला में ऐसे कई निजी अस्पताल है जिनके पास बिना अनुमति के एंबुलेंस संचालित है जिस पर कार्यवाही करना अत्यंत आवश्यक है। सरकारी अस्पतालो से रिफर किये गये मरीजो को बहलाफुसलाकर निजी अस्पतालो में लेजाने की मामला पहला नही है। लगातार खबरो के प्रकाशन के बाद जिला अस्पताल अपनी कुंभकर्णी नींद से कुछ समय के लिए जागा तो था किंतु महज कुछ दिनों बाद इन एंबुलेस वाहन चालको ने वही रवैया अपनाते हुए अपना डेरा अस्पताल के आस पास जमाना जारी रखा है।
मरीज के परिजन के अनुसार पहले 50 बिस्तर अस्पताल में लाया गया था, जहां से उसे मुंगेली के लिए रिफर किया गया था कितुं एम्बुलेस ड्राईवर द्वारा आन्या अस्पताल के बारे में बताते हुए वहा ले जाया गया । जहां लगभग 48 घंटे बाद भी हालत में सुधार नही होने के के बाद परिजनो द्वारा अन्य जगह लेजाने के लिए छुट्टी की बात कही गई तो प्रबंधन द्वारा बिल भुगतान के लिए दबाव डालते हुए धमकी दी गई । मशक्कत और अन्य लोगो के दखल के बाद मरीज को छोडा गया ।
मदद को पहुचे रामफल राजपूत
सीताराम राजपूत झाफल मरीज के परिजन मरीज की परेशानियो को देखते हुए मदद को पहुचे रामफल राजपूत ने बताया कि मरीज की समस्या को देखते हुए उसकी मदद के लिए पहुचे जहां मामले की गंभीरता को देखते हुए जब चर्चा की गई तो प्रबंधन द्वारा लगभग एक लाख साठ हजार रू जमा करने के बाद ही मरीज को छोडा गया ।
इस पुरे मामले पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाक्टर देवेन्द्र पैकरा ने कहा कि अगर इस प्रकार का कोई मामला हुआ है तो मामले की जांच की जायेगी । सही पाये जाने पर कार्यवाही की जायेगी ।
स्टेट ब्यूरो ईश्वर कुमार की रिपोर्ट