पटना : विश्व विकलाँग दिवस के अवसर पर रविवार को, बेउर स्थित इंडियन इंस्टिच्युट ऑफ हेल्थ एडुकेशन ऐंड रिसर्च में पैर-विहीन पाँच विकलांगों को कृत्रिम-पैर और २ विशेष-बच्चों को चल-कुर्सी प्रदान की गयी। इनके अतिरिक्त अनेक विकलांगों को कैलिपर समेत अन्य सहाय्य-सामग्रियाँ देकर पुनर्वासित किया गया। संस्थान द्वारा आहूत पाँच दिवसीय विकलांग दिवस समारोह का आज दीप-प्रज्वलन कर विधिवत उद्घाटन पटना उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेंद्र प्रसाद ने किया। कल नगर में जागरूकता रैली निकाली गयी थी।
अपना विचार व्यक्त करते हुए, न्यायमूर्ति प्रसाद ने कहा कि हमें विकलांग जनों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। हम केवल बातें करते हैं या कि उनकी सहायता के लिए भी कुछ करते हैं, महत्त्वपूर्ण यह है। विकलांगों के बीच कृत्रिम-पैर आदि पुनर्वास सामग्रियाँ वितरित कर इस संस्थान ने सही अर्थों में अपना कर्तव्य पूरा किया है। उन्होंने कहा कि शरीर से विकलांग होना उतना बुरा नहीं है कि जितना मन से विकलांग होना। मन की विकलांगता जिससे बड़ी संख्या में लोग ग्रसित हैं, समाज के लिए सबसे बड़ा ख़तरा है।सभा की अध्यक्षता करते हुए, संस्थान के निदेशक-प्रमुख डा अनिल सुलभ ने कहा कि राज्य के सभी विशेष आवश्यकता वाले लोगों की सम्यक् पहचान, पुनर्वास और कल्याण के लिए, बिहार सरकार को एक अलग से विभाग का सृजन करना चाहिए। विकलांगों के पुनर्वास के लिए, सभी प्रकार के प्रशिक्षित विशेषज्ञों, यथा फ़िज़ियोथेरापिस्ट, अकूपेशनल थेरापिस्ट, औडियोलौज़िस्ट, स्पीच पैथोलौजिस्ट, प्रोस्थेटिक ऐंड और्थोटिक अभियन्ता, विशेष-शिक्षक आदि का समुचित उपयोग आवश्यक है। इस समेकित प्रयास के लिए भी आवश्यक पहल होनी चाहिए।
इस अवसर पर, संस्थान के पूर्ववर्ती छात्र और सुप्रसिद्ध पुनर्वास-विशेषज्ञ पवन नेहरा, प्रो जया कुमारी, प्रो चंद्रा आभा, डा आदित्य कुमार ओझा, प्रो देवराज कुमार आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए। मंच का संचालन प्रो मधुमाला ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन संस्थान के प्रशासी पदाधिकारी सूबेदार संजय कुमार ने किया।कृत्रिम-पैर प्राप्त करने वालों में, प्राची कुमारी (पटना), मोहम्मद मुस्लिम (वैशाली), हिमांशु कुमार (बाढ़), कुंतल रुद्रा (पटना), मुन्ना साव (बिहटा) तथा प्रकाश राम (पटना) के नाम शामिल हैं।