पटना : हिन्दी-दिवस के उपलक्ष्य में बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में आगामी 1 सितम्बर से 15 सितम्बर तक ‘हिन्दी-पखवारा-सह- पुस्तक चौदस मेला’ का आयोजन किया जा रहा है। पखवारा के प्रत्येक दिन सम्मेलन सभागार में विविध साहित्यिक आयोजन तथा विद्यार्थियों के लिए प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा। 14 सितम्बर को 14 हिन्दी सेवियों को ‘साहित्य सम्मेलन हिन्दी सेवी सम्मान’से विभूषित किया जाएगा तथा 15 सितम्बर को आयोजित समापन समारोह में प्रतियोगिताओं में सफल विद्यार्थियों को पुरस्कार राशि एवं पदक देकर पुरस्कृत किया जाएगा। यह जानकारी देते हुए, सम्मेलन के अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने बताया है कि, समारोह का उद्घाटन 1 सितम्बर को अपराहन चार बजे, सिक्किम के पूर्व राज्यपाल गंगा प्रसाद करेंगे। मुख्य अतिथि होंगे, बिहार के उद्योग मंत्री समीर कुमार महासेठ। इसी दिन ‘राष्ट्रभाषा-प्रहरी’ की लोक-उपाधि से विभूषित स्मृति-शेष हिन्दी-सेवी नृपेंद्र नाथ गुप्त की जयंती भी मनायी जाएगी और उन पर प्रकाशित पुस्तक का लोकार्पण भी किया जाएगा।

डा सुलभ के अनुसार 2 सितम्बर को विद्यार्थियों के लिए ‘श्रुतिलेख-प्रतियोगिता’, 3 सितम्बर को ‘काव्य-कार्यशाला’, 4 सितम्बर को डा विष्णु किशोर झा ‘बेचन’ जयंती एवं लघुकथा-गोष्ठी, 5 सितम्बर को ‘डा श्याम नन्दन किशोर जयंती एवं कवि-सम्मेलन’, 6 सितम्बर को ‘विद्यार्थियों की व्याख्यान-प्रतियोगिता, 7 सितम्बर को विद्यार्थियों की निबन्ध-लेखन-प्रतियोगिता, 8 सितम्बर को विद्यार्थियों की कथा-लेखन-प्रतियोगिता, 9 सितम्बर को भारतेंदु जयंती एवं ‘पुस्तक लोकार्पण-समारोह, 10 सितम्बर को राजा राधिका रमण प्रसाद सिंह जयंती एवं कथा-कार्यशाला, 11 सितम्बर को केदार नाथ मिश्र ‘प्रभात’ जयंती एवं कवि-सम्मेलन, 12 सितम्बर को विद्यार्थियों के लिए काव्य-पाठ प्रतियोगिता, 13 सितम्बर को ‘संभाषण-कार्यशाला, 14 सितम्बर को, ”हिन्दी दिवस-समारोह एवं ‘हिन्दी-सेवी-सम्मान’ तथा 15 सितम्बर को समापन सह पुरस्कार वितरण समारोह आयोजित होंगे।

15 दिनों के पुस्तक मेले में राष्ट्रीय पुस्तक न्यास’ तथा मोतीलाल बनारसी दास’ समेत कई प्रकाशक भाग ले रहे हैं। पुस्तक मेला में ‘बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के प्रकाशन विभाग के अतिरिक्त एक दीर्घा बिहार के उन साहित्याकारों की पुस्तकों के लिए होगी, जिन्होंने निजी प्रकाशन से पुस्तकें प्रकाशित की हैं। जो भी साहित्य-सेवी अपनी पुस्तकें मेला में विक्रय हेतु देना चाहते हैं, उनसे आग्रह किया गया है कि वे दो प्रतियों में अपनी पुस्तकों की सूची बनाकर सम्मेलन कार्यालय में उपलब्ध कराएँ और एक पावती के रूप में प्राप्त कर लें।’पुस्तक चौदस मेला’ का अभिप्राय यह है कि प्रत्येक भारतीय घर में इस दिन एक पुस्तक अवश्य क्रय कर लायी जाए, ‘धन-त्रयोदशी’ की भावना की भाँति, जिसमें कुछ न कुछ धन का क्रय इस विचार से किया जाता है कि, इससे घर में ‘श्री’ की वृद्धि होगी। इसी भावना के साथ प्रत्येक चौदह सितम्बर को, कम से कम एक पुस्तक का क्रय अवश्य किया जाए, इस भावना के साथ कि, इससे घर में ‘प्रज्ञा’ की वृद्धि होगी।