बिहार सरकार ने कहा कि राज्य में नौकरी पाने के लिए लोग केरल, कर्नाटक, गुजरात, महाराष्ट्र, असम, पंजाब, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, झारखंड, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, दिल्ली एवं प. बंगाल से भी योगदान करने आए हैं।

बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा ली गई शिक्षक भर्ती परीक्षा में पहले डोमिसाइल नीति लागू करने को लेकर खूब बवाल हुआ था। रिजल्ट आने के बाद भी कई अभ्यर्थी औ छात्र नेताओं ने सवाल उठाया कि बिहार सरकार ने बाहर के राज्य के अभ्यर्थियों को नौकरी दे दी। इनके कई बहुराष्ट्रीय कंपनी और एनआरआई भी हैं। अब बिहार सरकार ने इस मामले पर खुशी जाहिर कर रही है और अपना पीठ भी खुद ही थपथपा रही हैI

बिहार सरकार की ओर से एक पत्र जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि बिहार में 18 साल की मेहनत से जो माहौल बदला है, उसकी छवि राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर काफी बेहतर हुई है। यही कारण है कि दूर-दराज के के लोग बिहार आकर विद्यालय अध्यापक के पद पर योगदान कर रहे हैं। इतनी भारी संख्या में जो टैलेंट पोल हमारे विद्यालयों को प्राप्त हुआ, उसे पूरी तरह इस्तेमाल करना हमारी प्राथमिकता होगी। सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि आयोग से चुनकर आए इन सुयोग्य विद्यालय अध्यापकों का पूरा लाभ बिहार के 75, 309 विद्यालय में पढ़ रहे सवा दो करोड़ छात्रों को मिले।

बहुराष्ट्रीय कंपनियों के भी कई अभ्यर्थियों ने विद्यालय अध्यापक पर योगदान दिया

बिहार सरकार ने कहा कि शिक्षक भर्ती परीक्षा कुल उत्तीर्ण अभ्यर्थियों में 88 प्रतिशत बिहार से हैं और 12 प्रतिशत अन्य राज्यों से हैं। यह देखकर प्रसन्नता होती है कि बिहार में नौकरी पाने के लिए लोग केरल, कर्नाटक, गुजरात, महाराष्ट्र, असम, पंजाब, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, झारखंड, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, दिल्ली एवं प. बंगाल से भी योगदान करने आए हैं ओमान एवं कतर से भी बिहार के लोग लौटकर इन परीक्षाओं में उत्तीर्ण होकर बिहार में विद्यालय अध्यापक के पद पर योगदान कर रहे हैं सेना, अर्द्धसैनिक बल, रेलवे एवं बैंकों तथा बहुराष्ट्रीय कंपनियों के भी कई अभ्यर्थियों ने विद्यालय अध्यापक के पद पर योगदान किया है।

कान्वेंट और केंद्रीय विद्यालय के भी कई अध्यापकों ने परीक्षा पास की

बिहार सरकार ने दावा किया कि साथ ही कान्वेंट विद्यालय एवं केन्द्रीय विद्यालय के भी कई अध्यापकों ने आयोग की दी हुई परीक्षा को उत्तीर्ण किया है और विद्यालय अध्यापक के पद पर योगदान किया है। इन आंकड़ों को देखने से यह स्पष्ट है कि बिहार में आकर लोग काम करना चाहते हैं। बता दें कि सरकार ने तो 12 प्रतिशत नियुक्ति अन्य राज्यों से बताई है, उसे आप ऐसे समझ सकते हैं। दरअसल शिक्षक भर्ती परीक्षा में एक लाख 20 हजार 336 शिक्षक बने हैं। इसमें करीब 14 हजार यानी 12 प्रतिशत शिक्षक बाहर के राज्य के हैं।