मधुबनी : मधुबनी जिले के नवानी गांव निवासी मेरिन इंजीनियर सुबोध कुमार दास द्वारा लिखित “किसी ने कहा है सिरफिरा ” एक बेहतरीन साहित्यिक रचना है। अपने पत्नी मधुलिका(मधु) का अकल्पनीय और अद्भुत प्रेम के कारण अपना साहित्यिक नाम ” मधुपति ” रखा है वैसे मधुपति भगवान कृष्ण का एक नाम है। कविता मे भावनात्मक गहराई और कलात्मक लालित्य है। मानवीय अनुभवों को अच्छी तरह से व्यक्त किया गया है। ये कविताएं हमारे विविध सरोकारों के जीवंत भाषा मे कहे गए अपना सा लगता है। कविताओं को पढ़कर शीर्षक की सार्थकता समझ आती है। रिश्तों के महत्व को दर्शाती हुई कई कविताएं हमारी मनुजता को झकझोरती भी हैं। सारी कविताएं बहुत ही उम्दा है। व्यक्ति के विभिन्न मनोभावों का चित्रण बखूबी किया गया है। काव्य प्रेमी पाठक को सम्मोहित करने की क्षमता सिरफिरा मे भरपूर है। कवि ने भावनाओं के समंदर में गोते लगाते हुए जज्बातों को कागज पर उड़ेलने का सार्थक प्रयास किया है।

मेरिन इंजीनियर होने के कारण सुबोध कुमार दास का अधिकांश समय समुद्र के थपेड़ों पर ही कटता है। सुबोध दास के पिताजी स्व जगदीश नारायण दास बिहार प्राथमिक उपचार केंद्र बासोपट्टी, मधुबनी मे एक चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी थे और उन्होंने अपने छ पुत्र सुधीर, सुनील, सुशील,सुदिष्ट , सुमन और सुबोध को अच्छी शिक्षा दी। माताजी स्व कमला देवी ने असीम कष्ट का सामना करते हुए सारे पुत्रों को पाला और अच्छा संस्कार दिया। लाल दास उच्च विद्यालय खड़ौआ से मैट्रिक और सी एम साइंस कॉलेज दरभंगा से इंटर के बाद कोलकाता से मेरिन इंजीनियरिंग की डिग्री ली है। द्वारिका दिल्ली में रह रहे सुबोध कुमार दास को एक पुत्र जयंत (आदिश) और एक पुत्री भार्गवी(गाव्या)है। काव्या पब्लिकेशन से प्रकाशित “किसी ने कहा है सिरफिरा “पुस्तक अमेजन पर उपलब्ध है। इस पुस्तक की छपाई सुंदर और स्पष्ट है।

यह पुस्तक QR code से भी खरीदा जा सकता है।प्रसिद्ध मैथिली गायिका मैथिली ठाकुर ने भी उनकी इस उपलब्धि के लिए शुभकामना दी है। अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के महिला प्रकोष्ठ की महासचिव डॉ आरती सुमन चौधरी, मिशन टू करोड़ चित्रांश अंतराष्ट्रीय के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेंद्र कर्ण और जेडीयू नेता मनोज लाल दास मनु ने “किसी ने कहा है सिरफिरा” पुस्तक के लिए सुबोध कुमार दास को बधाई देते हुए कहा कि आज के समय जब हर व्यक्ति टेंशन से ग्रसित है तो ऐसे समय में यह पुस्तक लोगों को सुकून प्रदान करेगी।