पटना: बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में बनी एनडीए की नई कैबिनेट में परिवारवाद का खासा बोलबाला है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ शपथ लेने वाले 26 मंत्रियों में से 10 परिवारवादी हैं। इनमें से कोई अपने पिता की राजनीतिक विरासत को संभाल रहा है, तो कोई अपने पति की राजनीति को बढ़ा रही है। परिवारवादी मंत्रियों की सूची में भाजपा, जदयू, हम (हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा) और रालोमो (राष्ट्रीय लोक मोर्चा) के नेता शामिल हैं। इनमें कुछ पहली बार मंत्री बनाए गए हैं। वहीं, राजनीतिक परिवार से आने वाले विजय चौधरी, अशोक चौधरी, लेशी सिंह, नितिन नबीन समेत कुछ नेता पहले भी कई बार मंत्री बन चुके हैं और सरकार चलाने का काफी अनुभव रखते हैं।

सम्राट चौधरी: नीतीश सरकार में डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी राजनीतिक परिवार से ताल्लुक हैं। उनके पिता शकुनी चौधरी कांग्रेस, समता पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) से कई बार विधायक रहे। आरजेडी की राबड़ी देवी सरकार में वे मंत्री भी बनाए गए थे। सम्राट भी पूर्व में राजद में राबड़ी सरकार में मंत्री रह चुके हैं। जिस तारापुर सीट से चुनकर सम्राट चौधरी विधानसभा पहुंचे हैं, वहां से उनके पिता 6 बार चुनाव जीते थे।

विजय कुमार चौधरी: नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के वरीय नेता एवं मंत्री विजय कुमार चौधरी को भी राजनीति विरासत में मिली है। विजय के पिता जगदीश प्रसाद चौधरी कांग्रेस के नेता थे। वह समस्तीपुर जिले की दलसिंहसराय सीट से तीन बार विधायक रहे थे। उनके निधन के बाद विजय चौधरी ने कांग्रेस के टिकट पर उपचुनाव जीत कर राजनीति में कदम रखा था। बाद में वे नीतीश की जदयू में आ गए।

अशोक चौधरी: नीतीश कैबिनेट में जेडीयू कोटे से मंत्री अशोक चौधरी को भी राजनीति विरासत में मिली है। उनके पिता महावीर चौधरी कांग्रेस के कद्दावर नेता थे। वह बिहार सरकार में मंत्री भी रहे थे। अशोक ने अपनी राजनीति की शुरुआत कांग्रेस से ही की थी। वे बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष रहे, हालांकि बाद में जेडीयू में आ गए। अशोक चौधरी की बेटी शांभवी भी समस्तीपुर से अभी लोजपा (रामविलास) की सांसद हैं।

संतोष कुमार सुमन: नीतीश कैबिनेट में हम कोटे से मंत्री संतोष कुमार सुमन केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी के बेटे हैं। जीतनराम बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। नीतीश से तकरार के बाद उन्होंने हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा नाम से नई पार्टी बनाई थी। इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष अभी उनके बेटे संतोष ही हैं। जीतनराम मांझी की बहू दीपा और समधन ज्योति कुमारी भी हम से विधायक हैं।

नितिन नवीन: नीतीश कैबिनेट में मंत्री नितिन नवीन के पिता नवीन किशोर प्रसाद सिन्हा बिहार में भाजपा के कद्दावर नेता रहे। पटना पश्चिम विधानसभा सीट से नवीन किशोर 4 बार भाजपा के विधायक रहे। उनके बाद बेटे नितिन नबीन यहां से विधायक चुने गए। 2008 के परिसीमन में पटना पश्चिम विधानसभा सीट का नाम बदलकर बांकीपुर कर दिया गया। तब से नितिन का ही इस सीट पर कब्जा है।

दीपक प्रकाश: नीतीश कैबिनेट में पहली बार मंत्री बनाए गए दीपक प्रकाश राज्यसभा सांसद एवं राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा के बेटे हैं। दीपक की मां स्नेहलता भी सासाराम से अभी विधायक चुनी गई हैं।

सुनील कुमार: बिहार सरकार में जेडीयू कोटे से मंत्री सुनील कुमार पूर्व आईपीएस अधिकारी हैं। उन्होंने रिटायरमेंट के बाद राजनीति में प्रवेश किया था। हालांकि, वह भी परिवारवाद से अछूते नहीं हैं। सुनील कुमार के पिता चंद्रिका राम स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता रहे थे। वह भी बिहार सरकार में मंत्री पद संभाल चुके थे।

श्रेयसी सिंह: भारत को राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक दिलाने वालीं निशानेबाज श्रेयसी सिंह को पहली बार नीतीश कैबिनेट में मंत्री बनाया गया। हालांकि, राजनीति उन्हें विरासत में मिली है। श्रेयसी के पिता दिग्विजय सिंह केंद्र में चंद्रशेखर और अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे थे। उनके निधन के बाद श्रेयसी की मां पुतुल देवी भी बांका से सांसद चुनी गई थीं।

रमा निषाद: नीतीश सरकार में बीजेपी कोटे से पहली बार मंत्री बनाई गईं, रमा निषाद राजनीतिक परिवार से जुड़ी हैं। उनके पति अजय निषाद मुजफ्फरपुर से सांसद रह चुके हैं। वहीं, ससुर कैप्टन जय नारायण निषाद भी मुजफ्फरपुर से 4 बार जनता दल, आरजेडी एवं जेडीयू से सांसद रहे और केंद्र में मंत्री भी रहे थे।

लेशी सिंह: नीतीश कैबिनेट में जेडीयू की महिला चेहरा लेशी सिंह के पति बूटन सिंह राजनेता था। वह नीतीश कुमार की समता पार्टी के जिलाध्यक्ष रहे थे। साल 2000 में बूटन सिंह की हत्या होने के बाद उनकी पत्नी लेशी ने राजनीति में प्रवेश किया था।