पाकिस्तान के पूर्व सैन्य तानाशाह परवेज मुशर्रफ का रविवार (5 फरवरी) को निधन हो गया। 79 वर्ष की उम्र में उन्होंने दुबई में आखिरी सांस ली I वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे I हालांकि, इसके साथ ही मुशर्रफ के साथ हमेशा ये जुड़ा रहेगा कि कभी पाकिस्तान का सबसे ताकतवर शख्स रहा, आखिरी सांस अपने मुल्क में नहीं ले सका I मुशर्रफ का भारत से गहरा कनेक्शन रहा I उनका परिवार दिल्ली में रहता था I दिल्ली के दरियागंज में 11 अगस्त, 1943 को मुशर्रफ की पैदाइश हुई I 1947 में देश का बंटवारा हुआ तो उनका परिवार पाकिस्तान चला गया I
मुशर्रफ से जुड़े कई तथ्य भी हैं। उन्हीं में से भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ कारगिल का युद्ध भी शामिल है। परवेज का नाम आते ही कारगिल युद्ध की दुखमय यादें ताजा हो जाती हैं। परवेज मुशर्रफ को दोनों देशों को कारगिल के युद्ध में झोंकने के लिए सूत्रधार माना जाता है। ये खामोशी कहां तक पुस्तक में राज छुपाने का हुआ था खुलासापरवेज मुशर्रफ कारगिल के युद्ध के समय 1999 में पाकिस्तान के सैनिक तानाशाह और राष्ट्रपति भी थे। उन्होंने कारगिल युद्ध के बारे में अपने ही देश के कुछ महत्वपूर्ण लोगों और एजेंसियों को इसकी जानकारी नही दी थी। इस बात का खुलासा साल 2013 में पाकिस्तानी सेना के लेफ्टिनेंट जनरल शाहिद अजीज की एक किताब आई ‘ये खामोशी कहां तक’. में हुआ था। सेना के 3 अधिकारियों संग मिलकर की थी कारगिल प्लानिंग शाहिद ने इस किताब में लिखा था कि परवेज मुशर्रफ ने कारगिल युद्ध की जानकारी पाकिस्तानी इंटेलिजेंस एजेंसी ISI को भी नहीं दी थी। परवेज मुशर्रफ ने सेना के 3 अन्य अधिकारियों के साथ मिलकर और महत्वपूर्ण लोगों से युद्ध की जानकारी छुपाते हुए कारगिल की पूरी साजिश रची थी। परवेज के साथ अन्य तीन अधिकारियों में लेफ्टिनेंट जनरल अजीज मुहम्मद खान, लेफ्टिनेंट जनरल महमूद अहमद और मेजर जनरल जावेद हसन शामिल थे।