जाति आधारित गणना को लेकर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में फिर से सुनवाई हुई। कोर्ट ने यह सुनवाई 3 अक्टूबर तक के लिए टाल दी। साथ ही याचिकाकर्ता द्वारा आंकड़ा जारी करने की मांग की जा रही थी, उस पर भी आदेश नहीं दिया है। यानी सर्वे का आंकड़ा जारी करने पर अंतरिम रोक लगा ही रहेगा। अब अगली सुनवाई 3 अक्टूबर को होगी I
इससे पहले 28 अगस्त को जातिगत जनगणना को लेकर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया था। इसमें सरकार ने कहा है कि जनगणना का अधिकार राज्यों के पास नहीं है। इससे पहले 21 अगस्त को सुनवाई हुई थी। इसमें जातीय गणना पर रोक लगाने की मांग वाली याचिकओं पर कोर्ट ने सुनवाई की थी। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस भट्टी की अदालत से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इसमें 7 दिन का समय मांगा था। इससे पहले कोर्ट में बिहार सरकार ने दलील देते हुए कहा कि राज्य में सर्वे का काम पूरा हो चुका है। सारे डाटा भी ऑनलाइन अपलोड कर दिए गए हैं। इसके बाद याचिकाकर्ता की ओर से डाटा रिलीज करवाने की मांग की थी। अब कोर्ट इस मामले को सोमवार को फिर सुनवाई करेगी।
हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ NGO ने याचिका दायर की
शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर अपलोड की गई वाद सूची के अनुसार, गैर सरकारी संगठन (NGO) “एक सोच एक प्रयास की” ओर से हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर कोर्ट सुनवाई करेगी। NGO के अलावा हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ एक और याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी। बिहार के नालंदा निवासी अखिलेश कुमार की ओर से दायर याचिका में दलील दी गई कि जातिगत जनगणना कराने के लिए राज्य सरकार की तरफ से जारी अधिसूचना संविधान के प्रावधानों के खिलाफ है। संविधान के प्रावधानों के मुताबिक, केवल केंद्र सरकार को ही जनगणना कराने का अधिकार है।
1 अगस्त को पटना हाईकोर्ट नेबिहार सरकार को दी थी हरी झंडी
दरअसल, पटना हाईकोर्ट ने बिहार में जातीय जनगणना को लेकर उठ रहे सवालों पर सुनवाई की थी। चीफ जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस पार्थ सार्थी की खंडपीठ ने लगातार पांच दिनों तक (3 जुलाई से लेकर 7 जुलाई तक) याचिकाकर्ता और बिहार सरकार की दलीलें सुनीं थी। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुना। इसके बाद एक अगस्त को पटना हाईकोर्ट ने सीएम नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट को हरी झंडी दे दी। पटना हाईकोर्ट ने इसे सर्वे की तरह कराने की मंजूरी दे थी। इसके बाद बिहार सरकार ने बचे हुए इलाकों में गणना का कार्य फिर से शुरू करवा दिया। बिहार सरकार के अनुसार, जाति आधारित गणना का कार्य पूरा हो गया है।