सजाया जा रहा है सम्मेलन भवन और सभागार, पाँच सौ प्रतिनिधि साहित्यकार लेंगे भाग, नामित अलंकरणों से विभूषित होंगे अनेक हिन्दी-सेवी। होगा विराट कवि-सम्मेलन।

पटना: आगामी 20-21 दिसम्बर को आयोजित होने वाले दो दिवसीय 44 वें महाधिवेशन के लिए बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन भवन और सभागार को रंग-रोगन और अलंकरणों से सजाया जा रहा है। यह महाधिवेशन भव्य रूप में आयोजित हो, इस हेतु बड़ी तैयारी की जा रही है। देश भर से पाँच सौ प्रतिनिधि भाग ले रहें हैं। इसलिए पूरी तैयारी का निरीक्षण स्वयं सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ कर रहे हैं। पूरी कार्यसमिति के साथ सम्मेलन के अधिकारी गण अपने-अपने कर्तव्यों में लग गए हैं!

सम्मेलन अध्यक्ष के अनुसार दो दिनों के इस महोत्सव में हिन्दी भाषा और साहित्य के उन्नयन पर गम्भीर विमर्श होंगे, जिसके लिए 6 वैचारिक-सत्र आयोजित किए जाएँगे। विदुषी लेखिकाओं और विद्वान साहित्यकारों को नामित अलंकरणों से विभूषित किया जाएगा तथा एक विराट राष्ट्रीय कवि-सम्मेलन भी संपन्न होगा। महाधिवेशन की स्वागत समिति, विषय-निर्वाचिनी-समिति तथा प्रबंध समिति सहित सभी उपसमितियों का गठन शीघ्र कर दिया जाएगा ।

सम्मेलन अध्यक्ष के अनुसार 20 दिसम्बर को पूर्वाहन 10-30 बजे महाधिवेशन का उद्घाटन-सत्र आरम्भ होगा। प्रति दिन तीन वैचारिक-सत्र आहूत होंगे। प्रथम दिन की संध्या में सम्मेलन के कला-विभाग की ओर से अतिथियों एवं प्रतिनिधियों के स्वागत में सांस्कृतिक उत्सव आयोजित होगा, जिसमें साहित्यिक काव्य-रचनाओं पर आधारित प्रस्तुतियाँ और बिहार की सांस्कृतिक विरासत की अभिव्यक्ति होगी। वैचारिक-सत्रों के विषय और उन पर व्याख्यान के लिए विदुषियों और विद्वानों के नाम भी शीघ्र ही निश्चित कर लिए जाएँगे।

डा सुलभ ने बताया है कि नामित अलंकरणों से विभूषित किए जाने वाले विद्वानों और विदुषियों के चयन हेतु, 30 नवम्बर तक प्रविष्टियाँ आमंत्रित की गयी हैं। सम्मेलन से संबद्ध ज़िला साहित्य सम्मेलनों से आग्रह किया गया है कि वे जीवन-वृत्त के साथ हिन्दी-सेवियों की अनुशंसाएँ तथा महाधिवेशन में भाग लेने वाले प्रतिनिधियों की सूची भी प्रेषित कर दें।