पटना : आगामी 20-21दिसम्बर को आहूत बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन का दो दिवसीय 44 वाँ महाधिवेशन सिख-सम्प्रदाय के नवम गुरु ‘गुरु तेग़ बहादुर सिंह’ जी को समर्पित किया जाएगा। एक वैचारिक सत्र में गुरु तेग़बहादुर जी के साहित्य और उनके आध्यात्मिक व्यक्तित्व पर चर्चा होगी।
यह निर्णय रविवार को सम्मेलन-सभागार में संपन्न हुई सम्मेलन की कार्यसमिति की बैठक में लिया गया। समरणीय है कि यह वर्ष गुरु महाराज के शहीदी दिवस का 350वाँ वर्ष है और पूरी दुनिया में इसे श्रद्धापूर्वक मनाया जा रहा है। सम्मेलन अध्यक्ष ने गुरु तेग़ बहादुर जी को एक महान आध्यात्मिक संत और बलिदानी माहात्मा ही नहीं अपितु एक सक्षम कवि और साहित्यकार भी बताया और कहा कि एक साहित्यिक संत को उनके बलिदान के 350 वर्ष पूरे करने के उपलक्ष्य में साहित्य सम्मेलन द्वारा मान देना सर्वथा उचित है।
बैठक में महाधिवेशन में आहूत होने वाले वैचारिक-सत्रों, सांस्कृतिक-प्रस्तुतियों और कवि-सम्मेलन के विषयों पर भी चर्चा हुई। साहित्यकारों के इस महाकुंभ में पाँच सौ प्रतिनिधियों के निबन्धन का लक्ष्य रखा गया है। विदुषी लेखिकाओं और विद्वान साहित्यकारों को नामित अलंकरणों से विभूषित किया जाएगा बाहर से आने वाले प्रतिनिधियों के आवासन, भोजन, स्थानीय परिवहन आदि की व्यवस्था सुनिश्चित की जा चुकी है। अलंकरण हेतु हैदराबाद से अंग-वस्त्रम आदि मंगाए जा रहे है।
डा सुलभ ने बताया है कि नामित अलंकरणों से विभूषित किए जाने वाले विद्वानों और विदुषियों के चयन हेतु, 30 नवम्बर तक प्रविष्टियाँ आमंत्रित की गयी हैं। सम्मेलन से संबद्ध ज़िला साहित्य सम्मेलनों से आग्रह किया गया है कि वे जीवन-वृत्त के साथ हिन्दी-सेवियों की अनुशंसाएँ तथा महाधिवेशन में भाग लेने वाले प्रतिनिधियों की सूची भी प्रेषित कर दें।
बैठक में सम्मेलन के वरीय उपाध्यक्ष और सुविख्यात साहित्यकार जियालाल आर्य, बिहार के पूर्व विशेष साचिव और साहित्यकार डा उपेंद्र नाथ पाण्डेय, डा शंकर प्रसाद, डा मधु वर्मा, सम्मेलन की प्रवक्ता और महिला आयोग, बिहार की अध्यक्ष श्रीमती अप्सरा, अर्थमंत्री कुमार अनुपम, पुस्तकालयमंत्री ईं अशोक कुमार, लोकभाषा मंत्री डा पुष्पा जमुआर, कलामंत्री डा पल्लवी विश्वास, प्रबंधमंत्री कृष्ण रंजन सिंह, कवि सिद्धेश्वर, डा सुमेधा पाठक, आराधना प्रसाद, डा मीना कुमारी परिहार, सागरिका राय, डा ऋचा वर्मा, डा अमरनाथ प्रसाद, पारिजात सौरभ, चंदा मिश्र, अम्बरीष कांत, नीरव समदर्शी, डा पंकज प्रियम, रौली कुमारी आदि सम्मेलन के अधिकारी, कार्यकारिणी सदस्य और विशेष आमंत्रित उपस्थित थे।
