दरभंगा: ‘द प्लूरल्स पार्टी’ की राष्ट्रीय अध्यक्ष पुष्पम प्रिया चौधरी ने दरभंगा नगर विधानसभा सीट से अपना नामांकन दाखिल किया। नामांकन के दौरान पुष्पम प्रिया का काफिला किसी उत्सव से कम नहीं दिखा। घोड़े, ढोल-नगाड़े, गाजे-बाजे और सैकड़ों वाहनों का काफिला उनके साथ काफिला चल रहा था। वह काली ऑडी कार की सनरूफ से खड़ी होकर रास्ते भर लोगों का अभिवादन करती रहीं। जगह-जगह समर्थकों ने फूलों की वर्षा कर उनका स्वागत किया।

नामांकन से पहले उन्होंने दरभंगा के श्यामा माई मंदिर में पूजा-अर्चना की और वहां से आशीर्वाद लेकर नामांकन स्थल के लिए रवाना हुईं। नामांकन के बाद उन्होंने अपनी मां के चरण छुए और गले लगकर आशीर्वाद लिया, जिससे भावनात्मक दृश्य बन गया।

नामांकन के बाद मीडिया से बातचीत में पुष्पम प्रिया चौधरी ने तीखे राजनीतिक तेवर दिखाते हुए कहा “इस बार बिहार में त्रिकोणीय मुकाबला होगा। एनडीए, महागठबंधन और द प्लूरल्स पार्टी के बीच असली जंग है। लेकिन जीतेगी बिहार की बेटी – दरभंगा की बेटी।”
यहीं की सड़कों और गलियों में पली-बढ़ी
पुष्पम प्रिया ने कहा कि वे किसी प्रमाणपत्र से नहीं, बल्कि अपने कर्म और विचार से दरभंगा की बेटी हैं। “मैं यहीं की हूं, यहीं के डीएमसीएच में पैदा हुई, यहीं की सड़कों और गलियों में पली-बढ़ी हूं। दरभंगा की जनता मुझे जानती है। 20 साल से जो सरकार बिहार को वहीं का वहीं रखी हुई है, अब उसे बदलने का वक्त आ गया है।”
पुष्पम प्रिया ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और महागठबंधन दोनों पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा “नीतीश कुमार 20 साल से मुख्यमंत्री हैं, लेकिन बिहार में अब भी रोजगार, सड़क और शिक्षा के हालात वही हैं। महागठबंधन के नेता भी जनता की नहीं, सत्ता की राजनीति कर रहे हैं। बिहार को अब शिक्षित और दूरदर्शी नेतृत्व की जरूरत है और वह नेतृत्व मैं दूंगी।”
मुख्यमंत्री की कुर्सी भी उसे ही दे दें
उन्होंने यह भी कहा कि तेजस्वी यादव और राहुल गांधी जैसी पार्टियों में “कायरता” है। “दरभंगा की सीट इन लोगों ने वीआईपी को दे दी, डर की वजह से। अगर वीआईपी इतनी मजबूत है, तो मुख्यमंत्री की कुर्सी भी उसे ही दे दें।”
पुष्पम प्रिया का जन्म 13 जून 1987 को हुआ था। वे जदयू के संस्थापक सदस्य स्वर्गीय उमाकांत चौधरी की पोती और पूर्व एमएलसी बिनोद कुमार चौधरी की बेटी हैं। उनके चाचा वर्तमान में जदयू से बेनीपुर के विधायक हैं।हालांकि पुष्पम ने अपने परिवार की परंपरागत राजनीति से अलग राह चुनी। उन्होंने 2020 में “द प्लूरल्स पार्टी” की स्थापना की और उस चुनाव में खुद को मुख्यमंत्री पद की दावेदार घोषित किया था।
पुष्पम प्रिया की शिक्षा अंतरराष्ट्रीय स्तर की
पुष्पम प्रिया की शिक्षा अंतरराष्ट्रीय स्तर की रही है। उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ ससेक्स से डेवलपमेंट स्टडीज में स्नातकोत्तर किया और उसके बाद लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस (LSE) से राजनीति विज्ञान और लोक प्रशासन की पढ़ाई की।वे बॉस्टन कंसल्टिंग ग्रुप और LSE की पब्लिक पॉलिसी प्रोजेक्ट टीम के साथ जुड़ी रहीं।
उन्होंने बताया कि 2018–19 में बिहार में एन्सेफलाइटिस से बच्चों की मौत की खबरों ने उन्हें झकझोर दिया था। “तब मैंने सोचा, अगर अपने राज्य के बच्चे मर रहे हैं, और मैं विदेशों में नीति बना रही हूं, तो यह नैतिक रूप से गलत है। तभी मैंने तय किया कि बिहार लौटकर बदलाव की राजनीति करूंगी।”
नगर विधानसभा से चुनाव लड़ने का ऐलान
2020 में उन्होंने पटना की बांकीपुर और मधुबनी की बिस्फी सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन सफलता नहीं मिली। तब उन्होंने आरोप लगाया था कि “EVM हैकिंग” के कारण उनकी पार्टी के वोट भाजपा के खाते में चले गए।
इस बार उन्होंने दरभंगा नगर विधानसभा से चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पुष्पम प्रिया इस बार “बुद्धिजीवी और युवा मतदाताओं” को लक्षित कर रही हैं और उनका प्रचार स्टाइल आधुनिक, डिजिटल और शिक्षित राजनीति का प्रतीक है।
विकास का मतलब सिर्फ नारा लगाना नहीं
उन्होंने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि “विकास का मतलब सिर्फ नारा लगाना नहीं है। सड़कें टूटी हैं, जलजमाव हर गली में है, नौकरियां नहीं हैं। जनता अब नारों से नहीं, परिणामों से वोट देगी।”उन्होंने आगे कहा कि “बिहार में अगर कोई रोजगार ला सकता है, उद्योग लगा सकता है और पलायन रोक सकता है, तो वह शिक्षित नेतृत्व ही कर सकता है और मैं उस दिशा में बिहार को ले जाऊंगी।”
दरभंगा नगर विधानसभा इस बार एनडीए के संजय सरावगी, द प्लूरल्स पार्टी की पुष्पम प्रिया चौधरी, और महागठबंधन समर्थित वीआईपी उम्मीदवार के बीच त्रिकोणीय मुकाबले का केंद्र बन गया है।विशेषज्ञों का मानना है कि पुष्पम प्रिया इस चुनाव में “एंटी-इंकंबेंसी और पढ़े-लिखे युवा मतदाताओं” के बीच नई ऊर्जा भरने की कोशिश कर रही हैं।
