लोक गायिका शारदा सिन्हा का 72 साल की आयु में निधन हो गया। लंबे समय से बीमार चल रहीं शारदा सिन्हा ने मंगलवार रात करीब 9.20 बजे अंतिम सांस ली। लोक आस्था के महापर्व छठ के दौरान शारदा सिन्हा के निधन से उनके प्रशंसकों के बीच शोक की लहर दौड़ गई।

दिल्ली : अपनी मधुर आवाज के लिए ‘बिहार कोकिला’ के नाम से प्रसिद्ध पद्म भूषण से सम्मानित शारदा सिन्हा का 72 साल की आयु में आज निधन हो गया। उन्होंने दिल्ली के एम्स में अंतिम सांस ली। एम्स ने शारदा सिन्हा के निधन की पुष्टि की है। वह 11 दिनों से एम्स में भर्ती थीं। वह पिछले छह वर्षों से ब्लड कैंसर से जूझ रही थीं। पिछले दिनों उनकी तबीयत बिगड़ने पर 26 अक्टूबर को एम्स में भर्ती किया गया था।शारदा सिन्हा को सोमवार रात से दिल्ली के एम्स में वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था। उनके निधन के बाद बेटे अंशुमान सिन्हा ने कहा, ‘आप सब की प्रार्थना और प्यार हमेशा मां के साथ रहेंगे। मां को छठी मईया ने अपने पास बुला लिया है। मां अब शारीरिक रूप में हम सब के बीच नहीं रहीं।’

पीएम मोदी ने जताया शोक

पीएम मोदी ने सोशल साइट एक्स पर पोस्ट कर कहा, सुप्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। उनके गाए मैथिली और भोजपुरी के लोकगीत पिछले कई दशकों से बेहद लोकप्रिय रहे हैं। आस्था के महापर्व छठ से जुड़े उनके सुमधुर गीतों की गूंज भी सदैव बनी रहेगी। उनका जाना संगीत जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति!

सीएम नीतीश कुमार ने भी जताया शोक

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी लोक गायिका के निधन पर दुख जताया है। उन्होंने कहा कि बिहार कोकिला शारदा सिन्हा ने मैथिली, भोजपुरी, बज्जिका के अलावा हिंदी गीत भी गाए थे। उन्होंने कई हिंदी फिल्मों में भी आवाज दी है। उनके निधन से संगीत के क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुई है।

एम्स से ही जारी हुआ था शारदा सिन्हा का नया छठ गीत 

छठ गीतों की जब भी बात होती है तो पद्म भूषण से सम्मानित लोक गायिका शारदा सिन्हा का नाम सबसे पहले आता है। शारदा सिन्हा का मंगलवार रात को देहावसान हो गया। चार दिन का महापर्व छठ नहाय खाय के साथ मंगलवार से शुरू हो गया। जब उनका इलाज चल रहा था तो सोमवार को उनके द्वारा गाए नए छठ गीत “दुखवा मिटाईं छठी मैया, रउए आसरा हमार” का जारी किया गया। यह सोमवार को एम्स से ही जारी हुआ था।

पद्म श्री और पद्म भूषण से सम्मानित

शारदा सिन्हा को कला जगत में अभूतपूर्व योगदान के लिए देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों से नवाजा गया था। पद्म श्री और पद्म भूषण से सम्मानित शारदा सिन्हा के बेटे अंशुमान ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे फोन पर बात कर मां की तबीयत के बारे में जानकारी ली।

दशकों लंबे संगीत करियर में अभूतपूर्व योगदान

शारदा सिन्हा को मैथिली और भोजपुरी संगीत में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाना जाता है। उन्हें लोक गायिकी के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए एक सांस्कृतिक राजदूत के रूप में जाना जाता है। गायिकी के अलावा शारदा सिन्हा विभिन्न सांस्कृतिक आयोजनों में भी सक्रिय रहीं। लगभग पांच दशक लंबे संगीत करियर में अभूतपूर्व योगदान के लिए उन्हें कई पुरस्कार मिले। बिहार सरकार ने भी इन्हें सम्मानित किया।

प्रशंसकों में शोक की लहर

शारदा सिन्हा फिर से सेहतमंद होकर लौटेंगी। मौत से लड़कर वो जीतेंगी। ये उम्मीद उनके प्रशंसकों और परिवारजनों को थी लेकिन शारदा सिन्हा जिंदगी की जंग हार गयीं और उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए। सोशल मीडिया पर भी उनके प्रशंसक उन्हें याद करके श्रद्धांजलि दे रहे हैं। खासकर छठ महापर्व के बीच में उनका इस दुनिया से जाना लोगों को अधिक रूला गया है। हालांकि शारदा सिन्हा आज भी और आने वाले दिनों में भी अपनी गीतों के माध्यम से सबके अंदर जीवित रहेंगी।