सहरसा : मंडल कारा सहरसा की स्थिति इन दिनों सामान्य नहीं है। यूँ कहें कि बिल्कुल अराजक स्थिति बनी हुई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पूर्ण नशाबंदी अभियान को ठेंगा दिखाते हुए काराकर्मियों की संलिप्तता से, जेल के भीतर धड़ल्ले से गांजा, चरस, कोरेक्स, नशीली दवाईयाँ, ब्राउन शुगर, स्मैक के कारोबार व्यापक पैमाने पर चल रहा है। 3 हज़ार रुपये में एंड्रॉयड स्मार्टफोन और एक हजार रुपये में छोटे मोबाईल फोन धड़ल्ले से जेल के भीतर बंदियों पहुँचाये जाते हैं। इसकी आपूर्ति, जेल गेट से और वॉच टॉवर की देख-रेख में बाउंड्री पार से फिंकवा कर करवाई जाती है। इसमें एक आध अधिकारियों के अलावा मुख्य कक्षपाल, उच्च कक्षपाल और गिनती के कुछ कक्षपालों की खुले आम संलिप्तता है। जेल में यह कारोबार प्रति सप्ताह, लाखों में है। यह बेहद गम्भीर मामला है जिसकी सघन जाँच की जानी चाहिए। हद बात तो यह है कि कारा कर्मियों के पकड़ाने पर इन पर कोई कार्रवाई नहीं होती है। उक्त बातें, एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए पूर्व मंत्री सह भाजपा विधायक नीरज कुमार सिंह “बबलू” ने कही है। बबलू ने आगे कहा है कि इन ड्रग्स माफियाओं का मनोबल इतना बढ़ा हुआ है कि वे अब अधीक्षक के कार्यालय में बैठ कर जेल से ही जेल के बाहर भी अपना व्यवसाय संचालित करते हैं। कारोबार पकड़ में ना आए इसके लिए ये जेल सीसीटीवी कैमरा और स्क्रीन तोड़ देते हैं और शिकायत के बावजूद उन पर कोई कार्रवाई नहीं होती है। इस जानलेवा कारोबार की वजह से,
जेल के भीतर 80% से ज्यादा युवा आज अनेकों तरह के नशा के शिकार हो चुके हैं।

यकीन ना हो, तो कभी भी नशा मापक यंत्र के साथ जेल का निरीक्षण करवाया जाए। भले लोगों के द्वारा इसकी शिकायत करने पर, जहाँ जेल प्रशासन उल्टे उसे ही निशाने पर लेकर किसी बहाने से मार-पीट और जलील करते हैं, वहीं ड्रग्स माफियाओं द्वारा घर लूट लेने और जान से मारने की धमकी भी देते हैं। जेल के भीतर, किसी भी भले इंसान की कोई भी ईज्जत नहीं है और उनके जान-माल पर भी खतरा है।
अपने जारी बयान में विधायक ने आगे कहा है कि इन माफियाओं के इशारे पर पिछले एक सप्ताह के भीतर, चार सितंबर और आठ सितंबर को, छोटी-मोटी बातों पर डराने-धमकाने और मुँह बंद कराने के उद्देश्य से बेवजह दर्जनों की संख्या में गृह रक्षा वाहिनी, सैप, जेल पुलिस और बीएमपी के जवानों को अंदर घुसा कर सैकड़ों की संख्या में निर्दोष बंदियों को बुरी तरह मारकर गंभीर रूप से ज़ख्मी कर दिया गया। सर, पैर और हाथ तोड़ दिए गए। यहॉं तक कि बूढ़े और कम उम्र के अस्पताल में भर्ती मरीज बंदियों तक को बख्सा नहीं गया। इस घटना को लेकर, आवाज उठाने पर मामले की गंभीरता को देखते हुए कुछ दोषी और प्रायः बेकसूर बंदियों को बिना संबंधित कोर्ट के आदेश और कारा हस्तक के नियानुसार परिजनों को सूचित किए बगैर बेरहमी से पीट कर रातों-रात, दूसरे जेल में तबादला कर दिया गया। बाहर भेजे गए बंदियों में अभिजीत सिंह, विजय ठाकुर और सीटी मियां की हालत अत्यंत नाजुक है। वर्तमान में, मंडल कारा सहरसा की स्थिति बिल्कुल भयावह है। यहाँ न्यायिक और उच्च स्तरीय जाँच की निहायत जरूरत है। नीरज कुमार सिंह बबलू ने जोर देते हुए यह भी लिखा है कि वे माननीय मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और जिला एवं सत्र न्यायाधीश सहरसा से अपील करेंगे कि वे विषय की गंभीरता को देखते हुए तुरन्त हस्तक्षेप करें और समय रहते इसका न्यायोचित हल निकालें।

विवेक कुमार यादव की रिपोर्ट