पटना : हिन्दी भारत की सबसे लोकप्रिय भाषा है। वह दिन दूर नहीं जब यह अपनी वैज्ञानिकता और सरसता के कारण भारत के प्रत्येक व्यक्ति की जिह्वा पर होगी। हिन्दी हमारे देश की शान और पहसचान है। यह कोई भाषा नहीं एक भाव है। यह हमारी एकता की सूत्र है।
यह बातें शनिवार को हिन्दी साहित्य सम्मेलन में ‘हिन्दी-दिवस’ के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह का उद्घाटन करते हुए, बिहार विधान सभा के अध्यक्ष नंद किशोर यादव ने कही। उन्होंने कहा कि हिन्दी हमारी संस्कृति की वाहक भी है। 150 से अधिक देशों में हिन्दी बोली जाती है। गुगल पर खोज करने वाले लोगों प्रत्येक पाँचवा खोजी हिन्दी का है। हमें अपनी अभिव्यक्ति का माध्यम ‘हिन्दी’ को बनाना चाहिए। अपने बच्चों को शुद्ध हिन्दी लिखना और बोलना सिखाएँ।
समारोह के मुख्य अतिथि और पटना उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि भाषा हर व्यक्ति की अपनी अभिव्यक्ति की माध्यम है। इसके अभाव में व्यक्ति गुंगा है। हिन्दी भाषा में न्याय सहित सभी कार्य होने लगे तो राष्ट्र की ऊन्नति सुनिश्चित हो जाएगी।
विशिष्ट अतिथि और बिहार विधान परिषद की प्रत्यायुक्त समिति के सभापति डा अजय कुमार सिंह ने हिन्दी साहित्य के विविध पक्षों की चर्चा करते हुए हिन्दी की शक्ति और उसकी महत्ता को रेखांकित किया।
सभा की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कहा कि भले ही हिन्दी अभी तक भारत की ‘राष्ट्रभाषा’ न बनायी गयी हो और आज ही की तारीख़ में संविधान सभा द्वारा 1949 को हिन्दी को भारत की सरकार के कामकाज की भाषा बनाए जाने के निर्णय को भी लागु न किया गया हो, फिर भी यह अपनी गुणवत्ता और सरसता तथा अपने चाहने वालों के कारण, पूरी दुनिया में सम्मान पा रही है। शीघ्र ही यह देश की ‘राष्ट्र-भाषा’ भी बनेगी, क्योंकि यह सबके दिल में उतरेगी और ख़ुशबू बनकर महकेगी। सम्मेलन के वरीय उपाध्यक्ष जियालाल आर्य, डा शंकर प्रसाद, मधु वर्मा तथा वीरेंद्र कुमार यादवने भी अपने विचार व्यक्त किए।
इस अवसर पर विधान सभाध्यक्ष ने वरिष्ठ कवयित्री सुजाता मिश्र की दो काव्य-पुस्तकों ‘काव्य भारती’ तथा ‘सती-विन्यास’ का लोकार्पण किया तथा हिन्दी भाषा के उन्नयन में मूल्यवान योगदान देने वाले 14 हिन्दी-सेवियों, डा रामरेखा सिंह, डा कृष्णा सिंह, चित्तरंजन भारती, डा एम के मधु, अनिला विर्णवे, हरिदाय नारायण झा, रमेश चंद्र, वीरेंद्र कुमार यादव, धीरेंद्र कुमार मिश्र, डा ज्योति दूबे, नीरज पाठक, आशा कुमारी,सुरेश विद्यार्थी तथा सैयद हुमायूँ अख़्तर को ‘साहित्य सम्मेलन हिन्दी-सेवी सम्मान’ से अलंकृत किया ।
आरंभ में सम्मेलन की संगठन मंत्री डा शालिनी पाण्डेय के नेतृत्व में स्वागत समिति की महिला सदस्यों ने सभी आगत अतिथियों का रोड़ी-तिलक, अंग-वस्त्रम और आरती कर अभिनन्दन किया। मंच का संचालन ब्रह्मानन्द पाण्डेय ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन डा कृष्ण रंजन सिंह ने किया।
इस अवसर पर, वरिष्ठ साहित्यकार डा बच्चा ठाकुर, डा पुष्पा जमुआर, प्रो रत्नेश्वर सिंह, प्रो जनार्दन प्रसाद सिंह, आराधना प्रसाद, डा शालिनी पाण्डेय, शमा कौसर ‘शमा’, चंदा मिश्र, तलत परवीन, डा मेहता नगेंद्र सिंह, ई अशोक कुमार, प्रो सुनील कुमार उपाध्याय, प्रेमलता सिंह राजपुत, डा मुकेश कुमार ओझा, डा मीना कुमारी परिहार, परवेज़ आलम, सुनील कुमार, मदन मोहन ठाकुर, बाँके बिहारी साव, बिंदेश्वर प्रसाद गुप्ता, श्रीकांत व्यास, प्रवीर पंकज आदि सम्मेलन के अधिकारी, सदस्यगण एवं बड़ी-संख्या में साहित्यकार उपस्थित थे।