Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the all-in-one-seo-pack domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/u479135809/domains/newsbharat24.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121

Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the disable-gutenberg domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/u479135809/domains/newsbharat24.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121

Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the web-stories domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/u479135809/domains/newsbharat24.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
राजनीति के ‘टमाटर’ हैं कुशवाहा, सहनी और मांझी, भाजपा की दुकान की बनेंगे शोभा - News Bharat 24

पटना : एक सब्‍जी होती है टमाटर। बहुपयोगी। कच्‍चा भी चट कर सकते हैं, सलाद भी बना सकते हैं, सब्‍जी का टेस्‍ट बढ़ा देता है और मांसाहार में खप जाता है। इसका अपना भी टेस्‍ट होता है। राजनीति में भी कुछ नेता और उनकी पॉकेट पार्टी है, जो बहुपयोगी हैं। वे भगवा में भी खप जाते हैं और हरा में भी। किसी भी धारा से उनको परहेज नहीं है। सत्‍ता की गारंटी होनी चाहिए। उपेंद्र कुशवाहा, मुकेश सहनी और जीतनराम मांझी इसी श्रेणी में आते हैं। इन सबका का कोई बड़ा राजनीतिक सरोकार नहीं है, छोटे-छोटे हित ही उनके लिए सर्वोपरि हैं। महत्‍वाकांक्षा के मारे हैं ये सभी। ये तीनों खुद को मुख्‍यमंत्री का दावेदार मानते हैं, सीएम मटेरियल। जीतनराम मांझी अपने बेटे को भी अब सीएम का दावेदार बताने लगे हैं।

राजनीतिक विमर्श जब प्रहसन में तब्‍दील हो जाये तब राजनीति में हर तरफ टमाटर ही नजर आता है। लालची की दुनिया में ठग। कहते हैं लालची की दुनिया में ठग भूखा नहीं मरता है। राजनीति में ठग और लालची का भेद मिट गया है। नीतीश कुमार या उपेंद्र कुश्‍वाहा। तेजस्‍वी यादव या जीतनराम मांझी। संजय जयसवाल या मुकेश सहनी। ये नाम उदाहरण के लिए हैं। राजनीति का बाजार लालची और ठगों से भरा पड़ा है। झंडा और झोला थामने वाला हर व्‍यक्ति लालची या ठग है, भूमिका समय और परिस्थितियों के अनुसार बदल जाती है।

उपेंद्र कुशवाहा, मुकेश सहनी या जीतनराम मांझी एक जाति विशेष की भीड़ का प्रतिनिधित्‍व करते हैं। उनकी पूरी राजनीतिक सौदेबाजी जाति केंद्रित होती है। इसलिए इनका ‘टमाटरपन’ ज्‍यादा दिखता और महसूस होता है। उपेंद्र कुशवाहा ने जदयू की कागजी सदस्‍यता छोड़ दी। अब न‍ विधान परिषद में जदयू के हैं, न संगठन में। उपेंद्र कुशवाहा भाजपा के साथ जाएंगे। फिर काराकाट से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। मुकेश सहनी भी भाजपा के साथ जाएंगे। वे खगडि़या से चुनाव लड़ेंगे। जीतनराम मांझी भी भाजपा के साथ जाएंगे और गया से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। तीनों की राजनीति एक-एक सीट के लिए है। तीनों की राजनीतिक महत्‍वाकांक्षा भाजपा के साथ ही पूरी होती है। 2019 में तीनों राजद के साथ चुनाव लड़ रहे थे और अपनी-अपनी सीट पर पराजित हुए थे। विधान सभा चुनाव में तीनों तीन खेमे थे और फिर तीनों भाजपा के साथ खड़े होने को विवश हैं। जीतन राम मांझी के पुत्र एवं मंत्री संतोष सुमन का एमएलसी का कार्यकाल अगले साल जुलाई में समाप्‍त हो रहा है और फिर उनका एक्‍सटेंशन संभव नहीं है। वह भी मुकेश सहनी की तरह सड़क पर आ जाएंगे। उनकी व्‍यवस्‍था के लिए जीतनराम मांझी नयी संभावना तलाश रहे हैं।

2014 और 2019 के तरह 2024 नहीं होगा। बिहार का राजनीतिक समीकरण और माहौल पूरी तरह बदल गया है। वोटों का ट्रेंड भी बदला है। अभी चुनाव आने में एक साल बाकी है और इस दौरान व्‍यापक फेरबदल होने की उममीद है। वैसे में कोई राजनीतिक भविष्‍यवाणी संभव नहीं है, लेकिन इतना तय है कि 2024 में कुशवाहा, सहनी और मांझी का भविष्‍य भाजपा के साथ ही सुरक्षित होगा। ये भाजपा की दुकान की ही शोभा बनेंगे।