पटना : महिला वकील से रेप मामले में झंझारपुर से राजद के पूर्व विधायक गुलाब यादव और IAS संजीव हंस की मुश्किलें कानूनी तौर पर अब बढ़ जाएंगी। क्योंकि, इन दोनों के खिलाफ रेप के आरोप में पटना पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है। इन दोनों के खिलाफ पटना के रूपसपुर थाना में FIR नंबर 18/2023 दर्ज की गई है। इसमें IPC की धारा 323/341/376/376(D)/420/313/120/504/506/34 और 67 IT एक्ट को शामिल किया गया है। पुलिस ने इस केस को 9 जनवरी की ही तारीख में दर्ज किया है। इस केस की जांच का जिम्मा दानापुर की सर्किल इंस्पेक्टर और महिला पुलिस अफसर मंजू कुमारी को दिया गया है।

पीड़िता को बयान दर्ज करने के लिए बुलाया : इस मामले में पटना पुलिस सबसे पहले पीड़िता का बयान दर्ज करेगी। साथ ही उनका मेडिकल टेस्ट भी करवाएगी। इसके लिए रुपसपुर थाना की तरफ से मंगलवार को पीड़ित महिला वकील को एक नोटिस भी भेजा गया है। उन्हें केस के IO के पास 12 जनवरी को बुलाया गया है। उसी दिन महिला वकील का पूरा बयान दर्ज किया जाएगा। इनके बयान के बाद ही पुलिस की जांच और कार्रवाई आगे बढ़ेगी।

13 महीने बाद दर्ज हुआ केस : पूर्व विधायक गुलाब यादव और IAS अधिकारी संजीव हंस के खिलाफ केस दर्ज कराने के लिए पीड़िता को लंबा संघर्ष करना पड़ा। पूरे 13 महीने बाद उन्हें सफलता मिली। नवंबर 2021 में उन्होंने सबसे पहले दानापुर के ACJM कोर्ट में कंप्लेन दाखिल किया था। उस पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने पटना पुलिस को जांच करने को भी कहा था। जिस पर पटना पुलिस ने जांच की भी थी।मगर, पुलिस के जांच रिपोर्ट जमा करने के बाद भी कोर्ट ने FIR दर्ज कराने का आदेश नहीं दिया था। तब पीड़िता को पटना हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा। पूरे केस का रिव्यू करने के बाद 12 दिसंबर 2022 को हाईकोर्ट ने निर्देश दिया और फिर 7 जनवरी को दानापुर कोर्ट ने केस दर्ज करने का आदेश दिया।

जांच टीम गई थी दिल्ली, प्रयागराज और पुणे : इस मामले पर पटना के SSP मानवजीत सिंह ढिल्लों ने बताया कि महिला वकील के मामले में जब 2022 में दानापुर कोर्ट के आदेश पर एक जांच टीम बनी थी। जिसमें सचिवालय ASP काम्या मिश्रा और महिला थानाध्यक्ष शामिल थी। इस टीम ने उस वक्त पीड़िता का बयान लिया था। उनका हर एक स्टेटमेंट रिकॉर्ड किया गया। उनके तरफ से दिए गए सबूत के आधार टीम जांच करने के लिए हर उस जगह पर गई, जिसके बारे में महिला ने बताया था। टीम उन होटलों में भी गई जहां उन्हें ठहराया गया। उस हॉस्पिटल में भी गई जहां अबॉर्शन कराया गया था। टीम जांच करने के लिए दिल्ली और पुणे के साथ ही प्रयागराज भी गई थी। इस मामले में डॉक्यूमेंट्री एविडेंस इकट्ठा करके पिछले साल के जून महीने में ही पुलिस ने अपनी रिपोर्ट दानापुर कोर्ट को सौंप दी थी। लेकिन, किस कारण से उस वक्त FIR दर्ज करने के लिए आदेश कोर्ट की तरफ से नहीं हुआ, ये नहीं पता। जबकि, 6 महीने पहले ही हमने जांच रिपोर्ट कोर्ट को सौंप दी थी।