पटना : विश्वयोग दिवस के अवसर पर शुक्रवार को बेउर स्थित स्वास्थ्य शिक्षा संस्थान ‘इंडियन इंस्टिच्युट औफ़ हेल्थ एडुकेशन ऐंड रिसर्च में, एक दिवसीय योग-प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें पतंजलि योग पीठ के आचार्यों ने संस्थान के शिक्षकों एवं छात्र-छात्राओं को प्राणायाम और योगासनों का प्रशिक्षण दिया।

योग-कार्यशाला का उद्घाटन पटना उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेंद्र प्रसाद ने किया। अपने संबोधन में न्यायमूर्ति ने योग की महिमा की विस्तार पूर्वक चर्चा की तथा प्रत्येक व्यक्ति को योग से जुड़ने का आग्रह किया।

सभा की अध्यक्षता करते हुए संस्थान के निदेशक-प्रमुख डा अनिल सुलभ ने कहा कि योग और प्राणायाम के माध्यम से व्यक्ति सदा निरोग और तन-मन से बलशाली हो जाता है। यह एक सहस्राब्दियों से परीक्षित वैज्ञानिक प्रणाली है, जिसका शरीर पर और मन पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है।

योगाचार्या श्वेता बौबी ने कहा कि व्यवहार में आने वाले आठ प्राणायामों में ‘भ्रस्त्रिका’, ‘कपाल भाति’ और ‘अनुलोम-विलोम’ तीन ऐसे प्राणायाम हैं, जिनके नियमित अभ्यास से ९९ प्रतिशत रोगों का उपचार किया जा सकता है। योग मनुष्य को तन-मन से निरोग करने वाली अत्यंत प्राचीन पद्धति है, जिसका अधिकाधिक प्रचार और व्यवहार होना चाहिए।

आरंभ में डा सुलभ ने योगाचार्या श्वेता बौबी तथा कुमार अनुपम को अंग-वस्त्रम प्रदान कर सम्मानित किया। प्रो संतोष कुमार सिंह ने कार्यशाला का संचालन किया।