पटना : आगामी 19-20 अक्टूबर को आयोजित बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के 106ठे स्थापना दिवस समारोह एवं दो दिवसीय 43वें महाधिवेशन की व्यवस्थाओं के लिए स्वागत-समिति के पुनर्गठन के बाद आठ उपसमितियों का भी पुनर्गठन किया गया है। इनमे आवास-समिति, यातायात समिति, भोजन-व्यवस्था समिति, चिकित्सा समिति, मंच-सज्जा एवं अतिथि सम्मान-समिति, प्रचार एवं संचार समिति, प्रायोजन समिति तथा इन सबके संयोजन के लिए अनुश्रवण-समिति सम्मिलित हैं।
सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ द्वारा जारी प्रेस-विज्ञप्ति के अनुसार, अनुश्रवण समिति में बिहार के पूर्व गृह-सचिव श्री जियालाल आर्य और पूर्व विशेष सचिव डा उपेंद्रनाथ पाण्डेय समेत सम्मेलन के उपाध्यक्षों को स्थान दिया गया है। छात्र और युवाओं को साहित्य से जोड़ने और प्रोत्साहन के लिए इस महाधिवेशन के प्रतिनिधि-शुल्क में पचास प्रतिशत की छूट दी गयी है। ध्यातव्य है कि सभी प्रतिनिधियों को एक सुंदर थैला, कलम, पुस्तिका, सम्मेलन-पत्रिका के साथ दोनों दिनों का भोजन, जलपान आदि निःशुल्क प्राप्त होंगे और उन्हें देश भर के विद्वानों और कवियों को सुनने का भी अवसर प्राप्त होगा।
उपसमितियाँ इस प्रकार हैं;- अनुश्रवण-समिति: जियालाल आर्य, डा उपेंद्रनाथ पाण्डेय, डा शंकर प्रसाद, डा मधु वर्मा तथा डा कुमार अरुणोदय, आवास समिति: पारिजात सौरभ, कुमार अनुपम, बाँके बिहारी साव, संजय शुक्ल तथा आभास कुमार, यातायात समिति : ई अशोक कुमार, डा पूनम आनन्द, प्रवीर कुमार पंकज, शिवानन्द गिरि, डा कुंदन लोहानी, नेहाल कुमार सिंह ‘निर्मल’ तथा सूर्य प्रकाश उपाध्याय, भोजन-व्यवस्था समिति: डा नागेश्वर प्रसाद यादव, आनन्द मोहन झा, अनीता मिश्रा ‘सिद्धि’, प्रेमलता सिंह राजपुत, डा रेखा मिश्र भारती, डा ऋचा वर्मा तथा डा मीना कुमारी परिहार, चिकित्सा-सेवा समिति: डा निर्मला सक्सेना, डा रामरेखा सिंह, डा पंकज पाण्डेय, जय प्रकाश पुजारी तथा सागरिका राय, प्रचार एवं संचार समिति: डा ध्रुव कुमार, डा अमरनाथ प्रसाद, बिंदेश्वर प्रसाद गुप्ता, नीरव समदर्शी, राजेश राज,अमित कुमार सिंह तथा रोहित कुमार , मंच-सज्जा एवं अतिथि-सम्मान समिति: डा शालिनी पाण्डेय, डा अर्चना त्रिपाठी, लता प्रासर, डा सुषमा कुमारी, डा रेखा भारती, अनीता मिश्रा सिद्धि, डा नीतू सिंह तथा नीता सहाय, प्रायोजन समिति: डा पूनम आनन्द, शशिभूषण कुमार, शमा कौसर ‘शमा’, डा प्रतिभा रानी, अभय सिन्हा, डा अर्चना त्रिपाठी तथा मीरा प्रकाश।